आर्यभट / Aaryabhat आर्यभट्ट विश्व के महान गणितज्ञ और ज्योतिर्विद है। उन्होंने गणित और ज्योतिष विशेषकर खगोल विज्ञान के क्षेत्र में कई महान सिद्धांत दिए जिनके आधार पर विश्व अनेक अन्य खोज कर पाया। आर्यभट ने शून्य का प्रतिपादन किया तथा पाई का सटीक मान निकालकर रेखागणित को भी आधार उपलब्ध कराया। उन्होंने एक श्लोक में कहा- चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्राणाम्। अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्यासन्नो वृत्तपरिणाहः॥ अर्थात 100 में चार जोड़ें, 8 से गुणा करें और फिर 62000 जोड़ें। इस नियम से 20000 परिधि के एक वृत्त का व्यास पता लगाया जा सकता है। (100 + 4) x 8 +62000/ 20000= 3.1416 इस श्लोक के अनुसार व्यास और परिधि का अनुपात (2πr/2r) यानी 3.1416 है, जो पांच महत्वपूर्ण आंकड़ों तक आज भी सटीक है। उन्होंने सिद्ध किया कि तारे सूरज की रोशनी से चमकते हैं। पूरी धरती की परिधि मापकर उन्होंने भूगोल और खगोलशास्त्र के लिए भी आधार भूमि तैयार की। उन्होंने ही दशमलव का विकास किया और साइन के लिए कोष्ठक दिए। उन्होंने सूर्य से विभिन्न ग्रहों की दूरी बताई जो कमोबेश आज भी सही है। उनके अनुसार- बुध : आर्यभट