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संस्कृत भाषा का महत्त्व

संस्कृत भाषा का महत्त्व तथा आश्चर्यजनक तथ्य-


  1. संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है तथा विश्व का सर्वप्रथम ग्रन्थ ऋग्वेद संस्कृत में ही है।
  2. सबसे शुद्ध व्याकरण (Accurate Grammar) आचार्य पाणिनी द्वारा रचित-‘अष्टाध्यायी’ संस्कृत का ही है।
  3. सबसे अच्छा कैलेंडर जिसमें नया साल सौर-प्रणाली के भू-वैज्ञानिक परिवर्तन के साथ शुरू होता है संस्कृत का है।  संदर्भ: जर्मन स्टेट यूनिवर्सिटी
  4. संस्कृत स्वास्थ्य के लिए सबसे उपयोगी भाषा है अर्थात संस्कृत में बात करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है दिमाग तेज होता है, स्मरण-शक्ति, एकाग्रता तथा सकारात्मकता बढ़ती है। यह ‘स्पीच-थैरपी’ में भी मददगार है। विसर्ग(:) के उच्चरण से "कपालभाती प्राणायाम" तथा अनुस्वार (म्) के उच्चारण से "भ्रामरी प्राणायाम" का लाभ प्राप्त होता है।
  5. भाषाओं की माँ संस्कृत- विश्व की लगभग सभी भाषाएं (97%) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संस्कृत से प्रभावित है। जैसे- हिन्दी, इंगलिश, जर्मन आदि।  संदर्भ: यूएनओ
  6. कंप्यूटर में प्रयोग के लिए भी सबसे अच्छी भाषा है, अगली पीढ़ी के ‘सुपर कंप्यूटर’ संस्कृत भाषा पर आधारित बनाए जा रहे हैं जिससे सुपर कंप्यूटर अपनी अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जा सके। तथा नासा के पास संस्कृत  की 60,000 ताड़-पत्तों की पांडुलिपियां हैं जिनपर वे अध्ययन कर रहे हैं ।  संदर्भ: फोर्ब्स पत्रिका 1987 आदि
  7. किसी अन्य भाषा की अपेक्षा संस्कृत में सबसे कम शब्दो में वाक्य पूरा किया जा सकता है।                                  जैसे- असतो मा सद्गमय। (मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो)
  8. संस्कृत के प्रयोग से जीभ की सभी मांसपेशियो का प्रयोग तथा विकास होता है,  जिससे अन्य भाषाओं का उच्चारण भी सुलभ (Easy) होता  है।
  9. संस्कृत के वाक्य उल्टे हो जाने पर भी अपना अर्थ नहीं बदलते हैं।                                                             जैसे- अहं विद्यालयं गच्छामि।                                                गच्छामि अहं विद्यालयम्।                                              विद्यालयं गच्छामि अहम्।                                                      इन तीनों वाक्यों के अर्थ में कोई अंतर नहीं है तथा व्याकरण के अनुसार भी सही है।
  10. संस्कृत में मात्र धार्मिक ग्रन्थ (पुराणादि) ही नहीं अपितु- चारों वेद, एतिहासिक ग्रन्थ ( जैसे- रामायण, महाभारत), अद्भुत साहित्य (अभिज्ञानशाकुन्तलम्, मेघदुत, पंचतन्त्र, हितोपदेश), चिकित्सा तथा आयुर्वेद (चरकसंहिता), गणित (आर्यभट्टीयम्), खगोलविज्ञान (सिद्धान्तशिरोमणि), ज्योतिर्विज्ञान (बृहज्जातकम्, बृहत्पराशर-होराशास्त्रम्), योग, व्याकरण (अष्टाध्यायी), दर्शन (109 उपनिषद् आदि), नीति (चाणक्य नीति, विदुरनीति), वास्तुशास्त्र, नाट्यशास्त्र आदि विषयों पर असंख्य ग्रन्थ उपलब्ध हैं
  11. अभी भी ‘कर्नाटक के मुत्तुर गांव’ में केवल संस्कृत में ही वार्तालाप होता है तथा यह उत्तराखण्ड की द्वितीय अधिकारिक भाषा है। भारत में ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी संस्कृत आज भी विश्वविद्यालय स्तर तक पढ़ाई जा रही है।

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