Skip to main content

6.4.1 कक्षा *षष्ठी* चतुर्थ: पाठ: (विद्यालय: ) Class 6th, Lesson - 4 ( VidyalayaH)

             6.4    कक्षा *षष्ठी* 
             चतुर्थ: पाठ:  (विद्यालय: )
            Class 6th, Lesson - 4
                   ( VidyalayaH )

       ************************************ 
नमोनमः। 
षष्ठीकक्ष्यायाः रुचिरा भाग- 1 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम् । 
अद्य वयं चतुर्थं पाठं पठामः। 
 पाठस्य नाम अस्ति 

                  विद्यालय:।
अहं डॉ. विपिन:।

      ************************************
    प्रस्तुत पाठ में विद्यालय से सम्बंधित वाक्य दिए गए हैं तथा शिक्षक और विद्यार्थियों के मध्य संस्कृत में सरल-संवाद प्रस्तुत किया गया है तथा सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किया गया है यथा- तव, मम, एषा, एतानि आदि।           
        --------------------------------------------  


एषः विद्यालयः।
अर्थ-
यह विद्यालय है। 

अत्र छात्राः शिक्षकाः, शिक्षिकाः च सन्ति।
अर्थ-
यहां छात्र, शिक्षक और शिक्षिकाएं होती है।

        ---------------------------------------


एषा सङ्गणकयन्त्र-प्रयोगशाला अस्ति।
अर्थ-
यह कंप्यूटर की प्रयोगशाला है। 

एतानि सङ्गणकयन्त्राणि सन्ति।
अर्थ-
यह अनेक कंप्यूटर है। 

        ---------------------------------------


एतत् अस्माकं विद्यालयस्य उद्यानम् अस्ति।
अर्थ-
यह हमारे विद्यालय का बगीचा है। 

उद्याने पुष्पाणि सन्ति।
अर्थ-
बगीचे में फूल है। 

वयम् अत्र क्रीडामः पठामः च।
अर्थ-
हम सब यहां खेलते और पढ़ते हैं। 

        ---------------------------------------


ऋचा - तव नाम किम्?
अर्थ-
ऋचा - तुम्हारा क्या नाम है। 

प्रणव - मम नाम प्रणवः। तव नाम किम्?
अर्थ-
प्रणव - मेरा नाम प्रणव है। तुम्हारा नाम क्या है?

ऋचा - मम नाम ऋचा। त्वं कुत्र पठसि?
अर्थ-
ऋचा - मेरा नाम ऋचा है। तुम कहां पढ़ते हो। 

प्रणवः - अहम् अत्र एव पठामि।
अर्थ-
प्रणव - मैं यही पढ़ता हूं।

ऋचा - अहम् अपि अत्र एव पठामि।
अर्थ-
ऋचा - मैं भी यही पढ़ती हूं। 

इदानीम् आवां मित्रे स्वः।
अर्थ-
अब हम दोनों मित्र हैं। 

        ---------------------------------------


शिक्षिका - छात्राः! यूयं किं कुरुथ?
अर्थ-
शिक्षिका- विद्यार्थियों तुम सब क्या कर रहे हो 

छात्राः - आचार्ये! वयं गच्छामः।
अर्थ-
सभी विद्यार्थी - शिक्षिका (संबोधन)! हम जा रहे हैं।

शिक्षिका - यूयं कुत्र गच्छथ।
अर्थ-
शिक्षिका - तुम सब कहां जा रहे हो।

छात्राः - वयं सभागारं गच्छामः।
अर्थ-
सभी विद्यार्थी - हम सब सभागार को जा रहे हैं।

शिक्षिका - युष्माकं पुस्तकानि कुत्र सन्ति?
अर्थ-
शिक्षिका - तुम सब की पुस्तकें कहां है?

छात्राः - अस्माकं पुस्तकानि अत्र सन्ति।
अर्थ-
सभी विद्यार्थी - हमारी पुस्तिकाएं यही है। 

        --------------------------------------- 


शिक्षकः- छात्रौ! युवां किं कुरुथः?
अर्थ-
शिक्षक - विद्यार्थियों तुम दोनों क्या कर रहे हो।

छात्रौ - आचार्य!आवां श्लोकं गायावः।
अर्थ-
दोनों छात्र - आचार्य (शिक्षक)! हम दोनों श्लोक गा रहे हैं।

शिक्षकः - शोभनम्, किं युवां श्लोकं न लिखथः?
अर्थ-
शिक्षक - अच्छा, क्या तुम दोनों श्लोक नहीं लिख रहे हो?

छात्रौ - आवां लिखावः, पठावः, गायावः, चित्राणि अपि रचयावः।
अर्थ-
दोनों छात्र - हम दोनों लिख रहे हैं, पढ़ रहे हैं, गा रहे हैं और चित्र भी बना रहे हैं।

शिक्षकः- बहुशोभनम्?
अर्थ-
शिक्षक - बहुत अच्छे। 

   ************************************   
        (1) पठनाय ( NCERT Book in PDF)
https://drive.google.com/file/d/1c_ReoiLcfpaF2EvVmD27TznPhVZYuq4Q/view?usp=drivesdk

        (2) श्रवणाय  (Audio)- 
https://drive.google.com/file/d/10NESb4qLzZvB2XpBav5Qh43yWkR-1aH0/view?usp=drivesdk

        (3)  दृश्य-श्रव्य (Video) 
6.1    पाठ: शब्दर्था: च
https://youtu.be/9CR4Ivoh8cU
     डॉ. विपिनः
          पाठ अभ्यास च 
 https://youtu.be/AdZ4fOw_XBY
    By - Kailash Sharma 

                  ----------------------- 

       6.4.2 अभ्यासः           

http://sanskritprabha.blogspot.com/2020/06/642-class-6th-lesson-4-vidyalayah.html 

                  -----------------------  

       सर्वनाम-प्रयोग:

https://youtu.be/nYj0ewv71-g
OnlinesamskrTutorial 

       

      ************************************  

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

छात्र-प्रतिज्ञा (संस्कृत) Student's Pledge (Sanskrit)

छात्र-प्रतिज्ञा (संस्कृत)  Student's Pledge (Sanskrit) भारतं अस्माकं देशः।  वयं सर्वे भारतीया:  परस्परं भ्रातरो भगिन्यश्च ।  अस्माकं देशः प्राणेभ्योsपि प्रियतर: ।  अस्य समृद्धौ विविध-संस्कृतौ च वयं गौरवम् अनुभवाम:।  वयं अस्य सुयोग्याः अधिकारिणो भवितुं सदा प्रयत्नं करिष्याम:।   वयं स्वमातापित्रो: शिक्षकाणां गुरुजनानां च सदैव सम्मानं करिष्याम:।  सर्वैः च सह शिष्टतया व्यवहारं करिष्याम:।  वयं स्वदेशं देशवासिनश्च प्रति विश्वासभाज: भवेम।  (वयं स्वदेशं  देशवासिनश्च प्रति कृतज्ञतया वर्तितुं प्रतिज्ञां कुर्म:।)  तेषां कल्याणे समृद्धौ च अस्माकं  सुखं निहितम् अस्ति। जयतु भारतम्। ------------------------------------------------------------  "भारत हमारा देश है!  हम सब भारतवासी भाई- बहन है!  हमें अपना देश प्राण से भी प्यारा है!  इसकी समृद्धि और विविध संस्कृति पर हमें गर्व है!  हम इसके सुयोग्य अधिकारी बनने का प्रयत्न सदा करते रहेंगे!  हम अपने माता पिता, शिक्षकों और गुरुजनों का सदा आदर करेंगे और  सबके साथ शिष्टता का व्यवहार करेंगे!  हम अपने देश और देशवासियों के प्रति वफादार रहने की प्रतिज्ञ

संस्कृत-वाक्य-रचना (Sanskrit Vakya Rachna)

संस्कृत-वाक्य-रचना (Sanskrit Vakya Rachna)  This Table can be useful to teach Students, How to make/Translate Sentences in Sanskrit..  (click to Zoom)                       1.   प्रथम पुरुष   1.1 पुल्लिंग-   बालक जा रहा है।   (वर्तमान-काल) बालकः गच्छति।  बालक पढ़ता है। बालक: पठति।  दो बालक पढ़ते हैं। (द्विवचन)  बालकौ  पठत:।  सभी बालक पढ़ते हैं। (बहुवचन)  बालका: पठन्ति।  बालक पढ़ेगा। (भविष्य-काल) बालक: पठिष्यति।  ("लट् लकार" में " ष्य " जोड़ने पर "लृट् लकार" का रूप बनता है यथा- पठति+ ष्य=  पठिष्यति) बालक गया। (भूत-काल) बालकः गच्छति स्म।   स्म " का प्रयोग किया  बालकः अगच्छत्।   लंङ् लकार (भूतकाल के लिए "लंङ् लकार" के स्थान पर  " लट्  लकार" में " स्म " का प्रयोग किया जा सकता है।)  बालक ने पढ़ा। बालकः पठति स्म।  (भूतकाल के लिए "लंङ् लकार" के स्थान पर  " लट् लकार" में " स्म " का प्रयोग किया जा सकता है।)  सभी बालकों ने पढ़ा। बालकाः पठन्ति स्म।    वह पढ़ता है। सः पठति। कौन पढ़ता है। कः पठति।  आप पढ़ते

पिपासितः काकः (Thirsty Crow) Sanskrit Story

    पिपासितः  काकः (Thirsty Crow)  Sanskrit Story           एकदा एकः काकः  पिपासितः  आसीत्।  सः जलं पातुम्  इतस्ततः  अभ्रमत्। परं  कुत्रापि  जलं न प्राप्नोत्।  अन्ते सः एकं घटम् अपश्यत्।  घटे  स्वल्पम्  जलम् आसीत्।  अतः सः जलम्  पातुम्  असमर्थः अभवत्।  सः एकम्  उपायम्  अचिन्तयत्।  सः  पाषाणस्य  खण्डानि घटे अक्षिपत्। एवं क्रमेण घटस्य जलम्  उपरि  आगच्छत्।  काकः जलं पीत्वा  संतुष्टः  अभवत्।  परिश्रमेण एव  कार्याणि  सिध्यन्ति न तु मनोरथैः।