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Showing posts from July, 2019

8 संस्कृत-अर्धवार्षिक-परीक्षायाःः प्रश्नपत्र-प्रारूपम् (8 MidTerm Sanskrit-BluePrint)

7 संस्कृतम् । अर्धवार्षिक-परीक्षायाः प्रश्नपत्र-प्रारूपम् (7th class Sanskrit Blue Print for Half Yearly Exam 2019-20)

6 संस्कृतम् । अर्धवार्षिक-परीक्षायाः प्रश्नपत्र-प्रारूपम् (6th class Sanskrit Blue Print for Half Yearly Exam 2019-20)

दीप-प्रज्वलन-श्लोका: (Lamp Ignition Shaloks)

दीप-प्रज्वलन-श्लोका: (Lamp Ignition Shaloks) वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।। शुभं करोति कल्याणम्  आरोग्यं धनसंपदाम् । आत्मबुद्धि प्रकाशाय दीपज्योतिर्   नमोऽस्तुते ॥ दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्   जनार्दनः । दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्  नमोऽस्तुते ॥            ----

संस्कृत-पाठ्यक्रमः कक्षा 6त: 8पर्यन्तमम् ( Sanskrit SPLIT UP Syllabus- Winter Session)

संस्कृत-पाठ्यक्रमः कक्षा 6त: 8पर्यन्तमम्   ( Sanskrit SPLIT UP Syllabus- Winter Session)

संस्कृत ओलयम्पियड्स- प्रश्न- पत्राणि

         संस्कृत ओलयम्पियड्स-  प्रश्न- पत्राणि      कक्षा षष्टी 6th https://drive.google.com/file/d/147sHmHLgEMKAsD6lv1pwLLCP7R_7Bh9I/view?usp=drivesdk     कक्षा सप्तमी 7th https://drive.google.com/file/d/148YO7-ZVWpIBBLobqLiHj0wlJ8Syd_cR/view?usp=drivesdk       कक्षा अष्टमी 8th https://drive.google.com/file/d/14FoV_bjX9dUdbYfwvqCZ-rgFw-OSl2t6/view?usp=drivesdk        कक्षा नवमी 9th https://drive.google.com/file/d/14J8fTJ3tmy5cT6TAWYjgoXnSyGzKAKoh/view?usp=drivesdk        कक्षा दशमी 10th https://drive.google.com/file/d/14KqFuSfnYh8PCaeEtFxlorJx__uZwFxm/view?usp=drivesdk

गायत्री मन्त्र व ओ३म् की महिमा

गायत्री मन्त्र व ओ३म् की महिमा शंख ऋषि कहते हैं- *सव्याहृतिकां सप्रणवां गायत्रीं शिरसा सह ।* *ये जपन्ति सदा तेषां न भयं विद्यते क्वचित् ।।*-(१२/१४) अर्थात् जो सदा गायत्री का जाप व्याहृतियों और ओंकार सहित करते हैं,उन्हें कभी भी कोई भय नहीं सताता। *शतं जप्त्वा तु सा देवी दिन-पाप-प्रणाशिनी ।* *सहस्रं जप्त्वा तु तथा पातकेभ्यः समुद्धरेत् ।।*-(१२/१५) गायत्री का सौ बार जाप करने से दिन भर के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा दिन भर पापों का प्राबल्य नहीं होने पाता और एक सहस्र बार जाप करने से यह गायत्री मन्त्र मनुष्य को पातकों से ऊपर उठा देता है और उसके मन की रुचि पातकों की और नहीं रहती।अर्थात् मनुष्य के मन में पाप की कोई मैल नहीं रहने पाती। *ओ३म् की महिमा* (१) *प्रश्नोपनिषद् मे*:-पिप्पलाद ऋषि सत्यकाम को कहते हैं- हे सत्यकाम ! ओंकार जो सचमुच पर और अपर ब्रह्म है (अर्थात्) उसकी प्राप्ति का साधन है जो उपासक उस सर्वव्यापक परमेश्वर का ओ३म् शब्द द्वारा ध्यान करता है,वह ब्रह्म को प्राप्त होता है।जो कृपासिन्धु,परमात्मा,अजर अमर अविनाशी सर्वश्रेष्ठ है,उस सर्वज्ञ अन्तर्यामी परमात्मा को सर्वसा

कक्षा-7 प्रश्नपत्र-प्रारूपम् (Blue Print)

सुवचनानि (Suvachanani)-

सुवचनानि   (Suvachanani)- ज्ञानम् / शिक्षा / विद्या- हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः हितकारी बातें मन को भी अच्छी लगे ऐसा दुर्लभ ही होता है। सूक्तिः १. ज्ञानं तृतीयं पुरुषस्य नेत्रम् । अर्थ -  ज्ञान मनुष्य का तीसरा नेत्र है । श्लोकः २. अनन्तशास्त्रं बहु वेदितव्यमल्पश्च कालो बहवश्च विघ्नाः ।  यत्सारभूतं तदुपासितव्यं हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमिश्रम् ।। (नराभरणम्-११९) अर्थ -  शास्त्रों का अन्त नहीं है, जानने को बहुत कुछ है, समय कम है, विघ्न बहुत हैं । जो सार है उसी का ग्रहण करना चाहिये जैसे कि हंस जल मिश्रित दूध में से केवल दूध ग्रहण कर लेता है । श्लोकः ३. सा विद्या या मदं हन्ति सा श्रीर्यार्थिषु वर्षति ।  धर्मानुसारिणी या च सा बुद्धिरभिधीयते ।। (दर्पदलनम्, ३/३) अर्थ -  विद्या वह है जो मद को दूर करे । लक्ष्मी वह है जो याचकों पर बरसे । बुद्धि वह है जो धर्मानुसारिणी हो । श्लोकः ४. प्रज्ञा प्रतिष्ठा भूतानां प्रज्ञा लाभः परो मतः ।  प्रज्ञा निःश्रेयसी लोके प्रज्ञा स्वर्गो मतः सताम् ।। (महाभा.शान्ति-.१८०/२) अर्थ -  बुद्धि ही प्राणियों का आधार है, बुद्धि की प्राप्ति ही सबसे उत्कृष

सुविचार: (Thought in Sanskrit)

सुविचार: (Thought in Sanskrit) नमोनमः अद्यतनीय: सुविचार: अस्ति- (श्लोक-) अर्थात्- पुनः कथ्यामि- ( श्लोक-) धन्यवाद:। -------------------  1) मूर्खस्य पञ्च चिन्हानि, गर्वो दुर्वचनं तथा। क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः॥ मूर्खों के पाँच लक्षण हैं - गर्व, अपशब्द, क्रोध, हठ और दूसरों की बातों का अनादर॥   अतः हमें इन दुर्गुणों से बचना चाहिए। ‎ There are five signs of fools - Pride, abusive language, anger, stubborn arguments and disrespect for other people's opinion. ----- 2) अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति, ‎ प्रज्ञा सुशीलत्व-दमौ श्रुतं च। पराक्रमश्च-बहुभाषिता च, दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥  आठ गुण पुरुष को सुशोभित करते हैं - बुद्धि, सुन्दर चरित्र, आत्म-नियंत्रण, शास्त्र-अध्ययन, साहस, मितभाषिता, यथाशक्ति दान और कृतज्ञता॥   Eight qualities adorn a man -intellect, good character, self-control, study of scriptures, valor, less talking, charity as per capability and gratitude. ------ 3) काव्यशास्त्रविनोदेन कालोगच्छति धीमताम्। ‎ व्यसनेन च मूर्खाणां ‎ निद्र

किं भवन्तः जानन्ति (Do You Know in Sanskrit)

किं भवन्तः जानन्ति (Do You Know in Sanskrit)     -------------  पक्षः १) किं भवन्तः जानन्ति यत्- एकस्मिन वर्षे द्वादश मासाः , प्रत्येक च मासे पक्ष द्वयं भवति,  शुक्लः पक्षः, कृष्णः पक्ष: च। यस्मिन् पक्षे पूर्णिमा भवति तत् शुक्लः पक्षः भवति, यस्मिन् च अमावस्या भवति तत् कृष्ण पक्ष भवति। अर्थात्-  क्या आप जानते हैं एक वर्ष में बारह महीने होते हैं तथा प्रत्येक महीने में दो पक्ष होते हैं,  शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष।  जिस पक्ष में पूर्णिमा होती है वह शुक्ल पक्ष कहलाता है, तथा जिस पक्ष में अमावस्या होती है वह कृष्ण पक्ष कहलाता है। धन्यवाद:। -------- हनुमान जयंती (अप्रैल मासे) २) किं भवन्तः जानन्ति यत्- हनुमान जयंती प्रत्येक-वर्षे चैत्र मासस्य  शुक्ल पक्षस्य पूर्णिमा तिथौ भवति यत् ह्य दिने आसीत्। क्या आप जानते हैं  हनुमान जयंती प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आती है। जो इस वर्ष 19अप्रैल अर्थात पिछले कल मनाई गयी थी। ------------- रूपयकानि ३) किं भवन्तः जानन्ति यत्- वर्तमान भारतीय रुपया इत्यस्य पुनः प्रचलनस्य श्रेयः पंचदश शताधिकं चत्वारिंशत्  तमे वर

नूतन-शब्द: (Word of the Day In Sanskrit)

नूतन-शब्द: (Word of the Day In Sanskrit) नमोनमः अद्यतनीय: नूतन: शब्द: अस्ति- अद्य जिसका अर्थ है- आज वाक्य प्रयोग:- अद्य शनिवासर: अस्ति। आज शनिवार है  पुनः कथ्यमि-  अद्य अर्थात् आज।  धन्यवाद:।  --------------- नमोनमः अद्यतनीय: नूतन: शब्द: अस्ति-  श्वः जिसका अर्थ है- आने वाला कल वाक्य प्रयोग:- श्वः शनिवासर: अस्ति। कल शनिवार होगा  पुनः कथ्यमि-  श्वः अर्थात् आने वाला कल।  धन्यवाद:।  --------------- नमोनमः अद्यतनीय: नूतन: शब्द: अस्ति-  अहर्निशम् जिसका अर्थ है- दिन रात वाक्य प्रयोग:- विद्यार्थी परीक्षायां उत्तम अंकान् प्राप्तुम् अहर्निशं परिश्रमं करोति। अर्थात् विद्यार्थी परीक्षा में उत्तम अंक प्राप्त करने के लिए दिन-रात परिश्रम करता है  पुनः कथ्यमि-  अहर्निशं अर्थात् दिन रात।  धन्यवाद:।  --------------- नमोनमः अद्यतनीय: नूतन: शब्द: अस्ति-  परितः जिसका अर्थ है- चारों और वाक्य प्रयोग:- विद्यालयं परित: वृक्षा: सन्ति अर्थात् विद्यालय के चारों और पेड़ है।  पुनः कथ्यमि-  परित: अर्थात् चारों और।  धन्यवाद:।  --------------- नमोनमः अद्यतनीय: नूतन: शब्दा: सन्

संस्कृत ओलयम्पियड्स- पाठ्यक्रम

Syllabus of Sanskrit Olympiads

केंद्रीय-विद्यालयस्य-शुल्क-प्रदानार्थम्-

केंद्रीय-विद्यालयस्य-शुल्क-प्रदानार्थं वित्तकोशस्य वेबस्थलम्- Pay fees of Kendriya Vidyalaya @ UBI website- https://epay.unionbankofindia.co.in/kvfee / Pay with UID and DOB- https://epay.unionbankofindia.co.in/kvfee/default.aspx

संस्कृत व्याकरण- (1) वर्ण, (2) प्रत्याहार (3) प्रयत्न

संस्कृत व्याकरण (Sanskrit Vyakaran)- (1) वर्ण, (2) प्रत्याहार (3) प्रयत्न संस्कृत व्याकरण को *माहेश्वर शास्त्र* भी कहा जाता है। 👉 माहेश्वर का अर्थ है-- *शिव जी* 👉 माहेश्वर सूत्र की संख्या --- *14*                 (1)  वर्ण संस्कृत में वर्ण दो प्रकार के होते है--- 3= *स्वर* 4= *व्यञ्जन*। 🌸👉 *संस्कृत में स्वर*--: ( *अच्*)तीन प्रकार के होते है-----: 1=■ *ह्रस्व स्वर* ( पाँच)---  इसमें एक मात्रा का समय लगता है। *अ , इ , उ , ऋ , लृ* 2=■ *दीर्घ स्वर* (आठ)---: इसमें दो मात्रा ईआ समय लगता है। आ , ई , ऊ , ऋ , ए ,ऐ ,ओ , औ 3= ■ *प्लुत स्वर* --: इसमे तीन मात्रा का समय लगता है। जैसे--- *हे राम३* *ओ३म* । 🌸👉  *सस्कृत में व्यञ्जन* (हल् ) ----: व्यञ्जन चार प्रकार के होते है---- 1= 👉स्पर्श व्यञ्जन --: *क से म तक* = 25 वर्ण 2= 👉अन्तःस्थ व्यञ्जन ---: *य , र , ल , व*= 4 वर्ण 3= 👉 ऊष्म व्यञ्जन --: *श , ष , स , ह* = 4 वर्ण 4= 👉 संयुक्त व्यञ्जन --: *क्ष , त्र , ज्ञ* = 3 वर्ण ○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○             (2)   प्रत्याहार 🌸 *प्रत्याहारों की संख्या* = 42 ● *अक् प्रत्य

संस्कृत-व्याकरणम्- सन्धिः

संस्कृत व्याकरणम्- सन्धिः (Sanskrit Vyakaran- Sandhi) 🌸🌸🌸 सन्धि --: 🌸🌸🌸 👉 *सन्धि* ----:  सन्धि का अर्थ है -- जोड़ अथवा मेल । दो शब्दों के मिलने से जो वर्ण संबन्धी परिवर्तन होता है, उसे *सन्धि* कहते है। 👉 *सन्धि के प्रकार* ----: सन्धि तीन प्रकार के होते है--- 1= स्वर सन्धि 2= व्यञ्जन सन्धि 3= विसर्ग सन्धि ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● 🌸 *स्वर सन्धि-*----: " जब पहले शब्द का अन्तिम स्वर दूसरे शब्द के आदि ( पहले) स्वर से मिलता है , तो इसे *स्वर सन्धि* कहते है। जैसे--- *विद्या + आलय = विद्यालय* (आ + आ = *आ*) 👉 स्वर सन्धि के * *पाँच भेद* है---- 1= दीर्घ सन्धि ( *अकः सवर्णे दीर्घः* ) 2= गुण सन्धि ( *आदगुणः* ) 3=   वृद्धि सन्धि ( *वृद्धिरेचि* ) 4= यण् सन्धि ( *इकोयणचि* ) 5= अयादि सन्धि ( *एचोयवायावः* ) ▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪ 🌸१=  दीर्घ सन्धि --( *अकः सवर्णे दीर्घः*) ○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○ 👉 *पहचान* ---: ☆ इस सन्धि के पहले पद का अन्तिम वर्ण तथा दूसरे पद का आदि वर्ण दोनो ही स्वर होते है। 👉☆ दोनो के योग से आ , ई , ऊ , ऋ की मात्रा बीच में बनती है तो दीर्घ सन्धि होता ह