Sanskrit song-
प्रतिक्षणं परिवर्तयेत् रूपं हि जीवनम्/
हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी/
Har ghadi badal rahi h
(कल हो न हो)
प्रतिक्षणं परिवर्तयेत् रूपं हि जीवनम् ।
छायावद् कदा कदाsतपं हि जीवनम् । प्रतिपलमिह जीवेदशेषम्,
दृष्यं यदत्र श्व: स्यात् न वा ॥ १)
कामयेत् हि यस्त्वां पूर्णमनसा,
प्राप्यते स: महत्प्रयासै: ।
ईदृशस्तु कोsपि कुत्राsपि,
सोsयमेव सर्वेषु रम्य: ।
हस्तौ तदीयौ, करयो: गृहाण,
सोsयं दयालु: श्व: स्यात् न वा ॥१॥
२) पक्ष्मणां गृहीत्वा छायां,
सन्निधौ य: कोsपि आयायात् ।
लक्षवारमवेक्षितं वातुलहृदयम्,
हृदयं स्पन्देतैव । मन्यस्व एवम् अस्मिन् क्षणे या, सेsयं कथा श्व: स्यात् न वा ॥२॥
गेयतानुकूल- संस्कृतानुवादक: राजेन्द्र भावे गायक: - श्रीरंग भावे
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हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी
छाँव है कभी, कभी है धूप ज़िंदगी
हर पल यहाँ जी भर जियो
जो है समाँ कल हो न हो
चाहे जो तुम्हें पूरे दिल से
मिलता है वो मुश्किल से
ऐसा जो कोई कहीं है
बस वो ही सबसे हसीं है
उस हाथ को तुम थाम लो
वो मेहरबाँ कल हो न हो
हर पल यहाँ...
पलकों के ले के साये
पास कोई जो आये
लाख सम्भालो पागल दिल को
दिल धड़के ही जाये
पर सोच लो इस पल है जो
वो दास्ताँ कल हो न हो
हर घड़ी बदल रही है...
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