पापान्निवारयति योजयते हिताय,
गुह्यं निगूहति गुणान् प्रकटी करोति।
आपद्गतं च न जहाति ददाति काले,
सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः।।
(भर्तृ.नीति.63)
अच्छे मित्र के लक्षण नीतिकार इस प्रकार कहते हैं - जो पापयुक्त आचरण करने से रोकता है, कल्याण कार्यो में लगाता है, गुप्त बातों को छिपाता है, अप्रकट गुणों को भी प्रकट करता है, विपत्ति के समय नहीं छोड़ता है, विपत्ति में यथाशक्तिः धन आदि देकर सहायता करता है वही श्रेष्ठ मित्र हैं।
The characteristic of a good friend are described by saints in his way - he dissuades (Friend ) from sinful acts, induces (him) in good acts, conceals the secrets, discloses the hidden merits, does not leaves in distress, helps in the time of need.
Comments
Post a Comment