उच्चारण-अभ्यासार्थं
संस्कृत-व्याकरण-ज्ञानार्थं च-
संस्कृत-व्याकरण-ज्ञानार्थं च-
महेश्वर सूत्राणि
(Maheshwar sutrani )
माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि)
को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। इनका उललेख पाणिनि कृत अष्टाध्यायी में किया है।
इसमें लगभग ४००० सूत्र है , जो आठ अध्यायों में विभाजित हैं। पाणिनि ने व्याकरण को स्मृतिगम्य बनाने के लिए सूत्र शैली की सहायता ली है।
इन्हें ‘प्रत्याहार विधायक’ सूत्र भी कहा जाता है।
प्रत्याहार का अर्थ होता है – संक्षिप्त कथन ।
स्वर वर्णों को अच् एवं व्यंजन वर्णों को हल् कहा जाता है।
माहेश्वर सूत्रों को उच्चारण अभ्यास हेतु प्रयोग में लाया जा है।
इन सूत्रों की कुल संख्या १४ है जो निम्नलिखित हैं:
१. अइउण्।
२. ऋऌक्।
३. एओङ्।
४. ऐऔच्।
५. हयवरट्।
६. लण्।
७. ञमङणनम्।
८. झभञ्।
९. घढधष्।
१०. जबगडदश्।
११. खफछठथचटतव्।
१२. कपय्।
१३. शषसर्।
१४. हल्।
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कहा जाता है कि इनकी उत्पत्ति भगवान शिव ( नटराज) के नृत्य के समय हुई थी जो इस श्लोक में स्पष्ट है।
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