हनुमान जयंती (Hanumaan jayanti )
हनुमान जयंती भारतीय पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार, प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। चैत्र पूर्णिमा के दिन राम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। पवनपुत्र के नाम से प्रसिद्ध हनुमान जी की माता अंजनी और पिता वानरराज केसरी थे। हनुमान जी को बजरंगबली, केसरीनंदन और आंजनाय के नाम से भी पुकारा जाता है। वास्तव में हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं, जिन्होंने त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम की भक्ति और सेवा के लिए जन्म लिया। संकटों का नाश करने वाले हनुमान जी को संकटमोचन भी कहते हैं। हनुमान जयंती पर जानते हैं उनके जन्म से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
संकटमोचन हनुमान जी का जन्म स्थान
1. हरियाणा के कैथल में जन्मे थे हनुमान जी
ऐसी मान्यता है कि हुनमान जी के पिता वानरराज केसरी कपि क्षेत्र के राजा थे। हरियाणा का कैथल पहले कपिस्थल हुआ करता था। कुछ लोग इसे ही हनुमान जी की जन्म स्थली मानते हैं।
2. मतंग ऋषि के आश्रम में जन्मे हुनमान
एक यह भी मान्यता है कि कर्नाटक के हंपी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास मतंग पर्वत है। वहां मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। हंपी का प्राचीन नाम पंपा था। कहा जाता है कि पंपा में ही प्रभु श्रीराम की पहली मुलाकात हनुमान जी से हुई थी।
3. गुजरात के अंजनी गुफा में जन्मे संकटमोचन हनुमान
गुजरात के डांग जिले के आदिवासियों का मानना है कि यहां अंजना पर्वत के अंजनी गुफा में हनुमान जी का जन्म हुआ था।
4. झारखंड के आंजन गांव की गुफा में जन्मे बजरंगबली
कुछ लोग यह भी मानते हैं कि झारखंड के गुमला जिले के आंजन गांव में हनुमान जी का जन्म हुआ था। वहां एक गुफा है, उसे ही हनुमान जी जन्म स्थली बताई जाती है।
व्रत एवं पूजा विधि
प्रात:काल में स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद गंगा जल से पूजा स्थान को पवित्र करें और मन में हनुमान जी के साथ प्रभु श्रीराम और माता सीता के नाम का स्मरण करें। अब हाथ में जल लेकर हनुमान जी पूजा और व्रत का संकल्प लें। हनुमान जी की पूजा में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें और मन, कर्म तथा वचन से पवित्र रहें। संकल्प के बाद पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके आसन पर बैठ जाएं। इसके बाद हनुमान जी की एक प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। अब हनुमान जी को पुष्प, अक्षत्, चंदन, धूप, गंध, दीप आदि से पूजा करें। आज के दिन उनको सिंदूर अवश्य अर्पित करें। इसके बाद हनुमान जी को बूंदी के लड्डू, हलुवा, पंच मेवा, पान, केसर-भात, इमरती या इनमें से जो भी हो, उसका भोग लगाएं।
पाठ विधि
सबसे पहले सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, श्रीराम स्तुति का पाठ करें। पूजा के समय हनुमान कवच मंत्र की एक माला का जाप करें। इससे सभी संकटों का समाधान हनुमान जी करेंगे। अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में हनुमान जी की आरती करें। हनुमान जी की पूजा के साथ उनके आराध्य श्रीराम और माता सीता की भी पूजा करें। प्रभु श्रीराम की पूजा करने से बजरंगबली अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इसके बाद लोगों में प्रसाद वितरित कर दें। स्वयं फलहार करते हुए व्रत करें। रात्रि में भजन-कीर्तन, सुंदरकांड का पाठ आदि करें। अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद हनुमान जी की पूजा करें। ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें और फिर अंत में पारण करके व्रत को पूरा करें।
श्लोक -
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातात्मजं नमामि ॥
हनुमान कवच मंत्र-
“ॐ श्री हनुमते नम:”
सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र-
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
हनुमान गायत्री मन्त्रः –
(Hanuman Gayantri Mantra).
ॐ रामदूताय विध्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्
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