संस्कृत-घटी ( Sanskrit Clock )
हमारे सनातन धर्म का दर्शन कराती-
12:00 के स्थान पर "आदित्याः" लिखा हुआ है जिसका अर्थ यह है कि आदित्य/ सूर्य 12 प्रकार के होते हैं-
1) चैत्र-धाता, 2) वैशाख-अर्यमा,
3) ज्येष्ठ-मित्र 4) आषाढ़-अरूण,
5) श्रावण-इन्द्र, 6) भाद्रपद- विवस्वान,
7) अश्विन-पूषा, 8) कार्तिक-पर्जन्य,
9) मार्गशीर्ष-अंशुमान, 10) पौष-भग,
11) माघ-त्वष्टा, 12) फ़ाल्गुन-जिष्णु
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1:00 के स्थान पर "ब्रह्म" लिखा हुआ है इसका अर्थ यह है कि ब्रह्म एक ही है -
🕉 'एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति।'
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2:00 के स्थान पर "अश्विनौ" लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं-
[1) 'नासत्य', 2) 'द्स्त्र']
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3:00 के स्थान पर "त्रिगुणाः" लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि गुण तीन प्रकार के हैं -
1) सतोगुण, 2) रजोगुण, 3) तमोगुण।
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4:00 के स्थान पर "चतुर्वेदाः" लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार प्रकार के होते हैं -
1) ऋग्वेद, 2) यजुर्वेद,
3) सामवेद और 4) अथर्ववेद।
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5:00 के स्थान पर "पंचप्राणाः" लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य है कि प्राण पांच प्रकार के होते हैं -
(1) अपान, 2) समान, 3) प्राण,
4) उदान, 5) व्यान)
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6:00 के स्थान पर "षड्र्साः" (षड्+रसाः) लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि रस 6 प्रकार के होते हैं-
[1) मधुर, 2) अम्ल, 3) लवण,
4) कटु, 5) तिक्त (कड़वा), 6) कषाय (कसैला)]
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7:00 के स्थान पर "सप्तर्षयः" लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सप्तऋषि 7 हुए हैं-
[ 1) विश्वामित्र , 2) जमदाग्नि, 3) भारद्वाज,
4) गौतम, 5)अत्री, 6) वशिष्ठ
और 7) कश्यप ]
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8:00 के स्थान पर "अष्टसिद्धयः" लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती है -
[1) अणिमा, 2) महिमा, 3) लघिमा,
4) गरिमा, 5) प्राप्ति 6) प्राकाम्य
7) इशित्व और 8) वशित्व ]
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9:00 के स्थान पर "नवद्रव्याणि" लिखा हुआ है जिसका अर्थ यह है कि द्रव्य नौ होते है।
[तर्क संग्रह के अनुसार ये 9 द्रव्य हैं-
1) पृथ्वी, 2) जल, 3) तेज,
4) वायु, 5) आकाश, 6) काल,
7) दिशा, 8) आत्मा और 9) मन।]
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10:00 के स्थान पर "दशदिशः" लिखा हुआ है जिसका अर्थ यह है कि दिशाएं 10 होती है-
(1) पूर्व, 2) पश्चिम, 3) उत्तर,
4) दक्षिण, 5) ईशान, 6) नैऋत्य,
7) वायव्य, 8) आग्नेय, 9) उर्ध्व/ आकाश,
10) अध/ पाताल)
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11:00 के स्थान पर "रुद्राः" लिखा हुआ है जिसका अर्थ यह है कि रुद्र अर्थात् शिव 11 होतें है।
बहुस्वीकृत नाम इस प्रकार हैं -
1) हर-रुद्र्, 2) बहुरूप, 3) त्र्यम्बक,
4) अपराजित-रुद्र्, 5) वृषाकपि, 6) शम्भु,
7) कपर्दी, 8) रैवत, 9) मृगव्याध,
अधिक जानकारी हेतु यहां स्पर्श करें।
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Very informative
ReplyDeleteबहुशोभनम्
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