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6.7.2 कक्षा - षष्ठी, विषय:-संस्कृतम्, सप्तमः पाठ: (बकस्य प्रतीकारः) Class-6th, Subject-Sanskrit, Lesson- 7 (Bakasya Pratikaar)Abhyaas

6.7.2   कक्षा - षष्ठी, विषय:-संस्कृतम्, 

सप्तमः पाठ:  (बकस्य प्रतीकारः)

Class-6th,  Subject-Sanskrit, 

Lesson- 7 (Bakasya Pratikaar)Abhyaas 

       ************************************ 

नमो नमः। 

षष्ठकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-1 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम् । 

अधुना वयं सप्तम-पाठस्य अभ्यासकार्यं कुर्म: । 

 पाठस्य नाम अस्ति 

                   बकस्य प्रतीकारः  

अहं डॉ. विपिन:। 

       ************************************ 

सप्तमः पाठः - बकस्य प्रतीकारः 

अभ्यास: (Exercise) 


1- उच्चारणं कुरुत- 

(अव्यय- लिंग, विभक्ति और वचन, लकार, पुरुष आदि के कारण जिनका रुप न बदलता हो।)

यत्र - जहां         यदा- जब        अपि - भी             अहर्निशम्- दिन-रात

तत्र- वहां          तदा- तब        अद्य - आज             अधुना-  अभी

कुत्र- कहां पर       कदा- कब श्वः- आने वाला कल            एव- ही

अत्र- यहां             एकदा- एक बार  ह्यः- बीता हुआ कल           कुतः- कहां से

अन्यत्र- कहीं ओर  च- और           प्रातः- सुबह     सायम्- शाम


2- मञ्जूषातः उचितम् अव्ययपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- 

अद्य         अपि प्रातः  

कदा सर्वदा         अधुना     

अद्य- आज       अपि-भी  प्रातः- सुबह        

कदा-कब              सर्वदा-सदा           अधुना- अभी     

(क) प्रातः भ्रमणं स्वास्थ्याय भवति। 

( ख) सर्वदा सत्यं वद।

(ग) त्वं कदा मातुलगृहं गमिष्यसि? 

(घ) दिनेशः विद्यालयं गच्छति, अहम् अपि तेन सह गच्छामि।

(घ) अधुना विज्ञानस्य युगः अस्ति।

(च) अद्य रविवासरः अस्ति। 


3- अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं लिखत- 

(क) शृगालस्य मित्रं कः आसीत्? 

उत्तरम्- शृगालस्य मित्रं बकः आसीत्। 


(ख) स्थालीतः कः भोजनं न अखादत्? 

उत्तरम्- स्थालीतः बकः भोजनं न अखादत्। 


(ग) बकः शृगालाय भोजने किम् अयच्छत्? 

उत्तरम्- बकः शृगालाय भोजने संकीर्णमुखे कलशे क्षीरोदनम् अयच्छत्। 


(घ) शृगालस्य स्वभावः कीदृशः भवति?

उत्तरम्- शृगालस्य स्वभावः कुटिलः भवति।


4- पाठात् पदानि चित्वा अधोलिखितानां विलोमपदानि लिखत- 

यथा- 

शत्रुः                  -        मित्रम् - मित्र

सुखदम्         -       दुःखदम् - दुःखद

दुर्व्यवहारः -        सद्वयवहारः (सद्+व्यवहारः) - अच्छा व्यवहार

शत्रुता         -        मित्रता -मित्रता

सायम्          -        प्रातः- सुबह

अप्रसन्नः         -        प्रसन्नः -प्रसन्न 

असमर्थः         -        समर्थः -समर्थ 


5- मञ्जूषातः समुचितपदानि चित्वा कथां पूरयत- 

मनोरथैः     पिपासितः उपायम् स्वल्पम् 

पाषाणस्य     कार्याणि         उपरि सन्तुष्टः

  पातुम्     इतस्ततः कुत्रापि 

 पिपासितः काकः 

        एकदा एकः काकः पिपासितः आसीत्। सः जलं पातुम् इतस्ततः अभ्रमत्। परं कुत्रापि जलं न प्राप्नोत्। अन्ते सः एकं घटम् अपश्यत्। घटे स्वल्पम् जलम् आसीत्। अतः सः जलम् पातुम् असमर्थः अभवत्। सः एकम् उपायम् अचिन्तयत्। सः पाषाणस्य खण्डानि घटे अक्षिपत्। एवं क्रमेण घटस्य जलम् उपरि आगच्छत्। काकः जलं पीत्वा संतुष्टः अभवत्। परिश्रमेण एव कार्याणि सिध्यन्ति न तु मनोरथैः। 


6- तत्समशब्दान् लिखत- 

यथा-

        सियार शृगालः

कौआ काकः

मक्खी मक्षिका

बन्दर वानरः

बगुला बकः

चोंच चञ्चुः

नाक नासिका








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