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7.1.2 कक्षा- सप्तमी, विषय:- संस्कृतम् प्रथमः पाठः ( सुभाषितानि) Class- 7th, Subject - Sanskrit, Lesson-1 (Subhashitaani)

             7.1.2 कक्षा- सप्तमी,  विषय:- संस्कृतम्

                    प्रथमः पाठः ( सुभाषितानि) 

     Class- 7th,  Subject - Sanskrit,  Lesson-1

                              (Subhashitaani) 


       ************************************


नमो नमः। 

सप्तमीकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-2 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम्। 

अद्य वयं प्रथम-पाठस्य अभ्यासकार्यं कुर्म: ।  

पाठस्य नाम अस्ति -   

                          सुभाषितानि । 

अहं डॉ. विपिन:। 


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                   प्रथमः पाठः - सुभाषितानि  

                     अभ्यासः (Exercise)


प्रश्नः 1 सर्वान् श्लोकान् सस्वरं गायत। 

विद्यार्थी सभी श्लोकों को शिक्षक की सहायता के स्वर के साथ गाएंगे। 

2- यथायोग्यं श्लोकांशान् मेलयत-

        क                                      ख

धनधान्यप्रयोगेषु         विद्यायाः संग्रहेषु च।

विस्मयो न हि कर्त्तव्यः         बहुरत्ना वसुन्धरा।

सत्येन धार्यते पृथ्वी         सत्येन तपते रविः।

सद्भिर्विवादं मैत्रीं च         नासद्भिः किञ्चिदाचरेत्

आहारे व्यवहारे च         त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्


3- एकपदेन उत्तरत- 

(क) पृथिव्यां कति रत्नानि?

उत्तरम्- त्रीणि ।


(ख) मूढैः कुत्र रत्नसंज्ञा विधीयते?

उत्तरम्- पाषाणखण्डेषु ।


(ग) पृथिवी केन धार्यते?

उत्तरम्- सत्येन ।


(घ) कैः सङ्गतिं कुर्वीत?

उत्तरम्- सद्भिः।


(ङ) लोके वशीकृतिः का?

उत्तरम्-  क्षमा।


4- रेखांकितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत- 

(क) सत्येन वाति वायुः।

उत्तरम्- केन वाति वायुः?


(ख) सद्भिः एव सहासीत।

उत्तरम्- कैः एव सहासीत?


(ग) वसुन्धरा बहुरत्ना भवति।

उत्तरम्- का बहुरत्ना भवति?


(घ) विद्यायाः संग्रहेषु त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।

उत्तरम्- कस्याः संग्रहेषु त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्?


(ङ) सद्भिः मैत्रीं कुर्वीत?

उत्तरम्- सद्भिः किं कुर्वीत? 


5- प्रश्नानामुत्तराणि लिखत-

(क) कुत्र विस्मयः न कर्त्तव्यः?

उत्तरम्- दाने तपसि शौर्ये च विज्ञाने विनये नये विस्मयो न हि कर्त्तव्य।


(ख) पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि कानि?

उत्तरम्- पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलम्, अन्नं, सुभाषितम् च सन्ति।


(श्लोक 1)


(ग) त्यक्तलज्जः कुत्र सुखी भवेत्?

उत्तरम्- धनधान्यप्रयोगेषु विद्यायाः संग्रहेषु च आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।

(श्लोक 5)


6- मञ्जूषातः पदानि चित्वा लिङ्गानुसारं लिखत-

रत्नानि वसुन्धरा सत्येन सुखी अन्नम्

वह्निः         रविः पृथ्वी     सङ्गतिम्  

पुल्लिङ्गम् स्त्रीलिङ्गम्           नपुंसकलिङ्गम्

सुखी वसुन्धरा रत्नानि

रविः पृथ्वी अन्नम्

वह्निः सड्गतिम् सत्येन


7- अधोलिखितपदेषु धातवः के सन्ति?

पदम् धातुः

करोति  कृ 

पश्य दृश्

भवेत्   भू

तिष्ठति   स्था


                            7.1.1     




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