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7.7.2 कक्षा- सप्तमी, विषय:- संस्कृतम् सप्तमः पाठः (सङ्कल्पः सिद्धिदायकः) Class- 7th, Subject - Sanskrit, Lesson-7 (SankalapH SiddhiDaayakH)

7.7.2 कक्षा- सप्तमी,  विषय:- संस्कृतम्

सप्तमः पाठः (सङ्कल्पः सिद्धिदायकः) 

Class- 7th,  Subject - Sanskrit,  Lesson-7 

(SankalapH SiddhiDaayakH) 

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नमो नमः। 

सप्तमीकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-2 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम्। 

अद्य वयं सप्तम-पाठस्य अभ्यासकार्यं कुर्म: ।  

पाठस्य नाम अस्ति -   

                         सङ्कल्पः सिद्धिदायकः। 

अहं डॉ. विपिन:। 

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सप्तमः पाठः - सङ्कल्पः सिद्धिदायकः  

अभ्यासः (Exercise)


प्रश्नः 1- उच्चारणं कुरुत-

अभवत्- हुआ          अकथयत्- कहा          अगच्छत्- गया

न्यवेदयत्- निवेदन किया  अपूजयत्- पूजा                  स्वपिति- सोई

तपति- तपता है          प्राविशत्- प्रवेश किया   अवदत्- बोला  


वदति स्म- बोला  वसति स्म- रहता था          रक्षति स्म- रक्षा की

वदति- बोलता है  चरति स्म- चरा                  करोति स्म- किया

गच्छति स्म- गया              अकरोत्- किया          पठति स्म- पढा

प्रश्न 2- उदाहरणम् अनुसृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत- 

(क)      एकवचनम् द्विवचनम्         बहुवचनम्

यथा-         वसति स्म             वसतः स्म वसन्ति स्म            (लट् लकार- ति      तः     अन्ति)

पूजयति स्म     पूजयतः स्म         पूजयन्ति स्म

रक्षति स्म     रक्षतः स्म रक्षन्ति स्म

चरति स्म     चरतः स्म    चरन्ति स्म

करोति स्म कुरुतः स्म         कुर्वन्ति स्म 

 

(ख)     पुरुषः         एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्

        प्रथमपुरुषः अकथयत्     अकथयताम्         अकथयन्        (लङ्-  त्    ताम्     न्)

प्रथमपुरुषः अपूजयत्     अपूजयताम्         अपूजयन्

प्रथमपुरुषः अरक्षत्     अरक्षताम्         अरक्षन् 

 

(ग)     पुरुषः     एकवचनम्         द्विवचनम्     बहुवचनम्

        मध्यमपुरुषः         अवसः अवसतम्     अवसत           (लङ्-  अः    तम्    त)

मध्यमपुरुषः अपूजयः अपूजयतम्     अपूजयत

मध्यमपुरुषः अचरः अचरतम्     अचरत 

(घ)     पुरुषः     एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्

उत्तमपुरुषः अपठम् अपठाव अपठाम               (म्    आव    आम)

उत्तमपुरुषः अलिखम् अलिखाव अलिखाम

उत्तमपुरुषः अरचयम् अरचयाव अरचयाम

प्रश्न 3- प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत- 

(क) तपः प्रभावात् के सखायः जाताः?

उत्तरम् -  हिंस्रपशवः।


(ख) पार्वती तपस्यार्थं कुत्र अगच्छत्? 

उत्तरम् -  गौरीशिखरम् ।


(ग) कः श्मशाने वसति?

उत्तरम् - शिवः ।


(घ) शिवनिन्दां श्रुत्वा का क्रुद्धा जाता?

उत्तरम् -  पार्वती।


(ङ) वटुरूपेण तपोवनं कः प्राविशत्?

उत्तरम् -  शिवः। 


प्रश्न 4- कः/का कं/कां प्रति कथयति- कः/का         कम्/काम् 

         (किसने किसको कहा)

यथा- वत्से! तपः कठिनं भवति?         माता पार्वतीम्

(क) अहं तपः एव चरिष्यामि?         पार्वती         मातरम्

(ख) मनस्वी कदापि धैर्यं न परित्यजति।         पार्वती         विजयाम्

(ग) अपर्णा इति नाम्ना त्वं प्रथिता। विजया         पार्वतीम् 

(घ) पार्वति! प्रीतोSस्मि तव सङ्ल्पेन।         शिवः         पार्वतीम् 

(ङ) शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्। वटुः         पार्वतीम् 

(च) अहं तव क्रीतदासोSस्मि।         शिवः         पार्वतीम्


प्रश्न 5- प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत- 

(क) पार्वती क्रुद्धा सती किम् अवदत्?

उत्तरम् - 

पार्वती क्रुद्धा सती अवदत् यत् अरे वाचाल! अपसर। जगति न कोSपि शिवस्य यथार्थं स्वरुपं जानाति। यथा त्वम् असि तथैव वदसि।


(ख) कः पापभाग् भवति? 

उत्तरम् - 

यः निन्दां करोति श्रृणोति च सः पापभाग् भवति। 


(ग) पार्वती किं कर्त्तुम् ऐच्छत्?

उत्तरम् -

 पार्वती तपस्यां कर्त्तुम् ऐच्छत्। 


(घ) पार्वती कया साकं गौरीशिखरं गच्छति?

उत्तरम् -

 पार्वती विजयया साकं गौरीशिखरं गच्छति।


प्रश्न 6- मञ्जूषातः पदानि चित्वा समानार्थकानि पदानि लिखत-

        (माता मौनम् प्रस्तरे जन्तवः नयनानि)

शिलायां प्रस्तरे 

पशवः जन्तवः

अम्बा माता

नेत्रणि नयनानि

तूष्णीम् मौनम्

प्रश्न 7- उदाहरणानुसारं पदरचनां कुरुत- 

यथा- वसति स्म         = अवसत्            हटाएं- ( .......ति (इ) स्म)    जोडें- ( अ...........त्)  

(क) पश्यति स्म = अपश्यत् 

(ख) तपति स्म         = अतपत् 

(ग) चिन्तयति स्म = अचिन्तयत्

(घ) वदति स्म         = अवदत् 

(ङ) गच्छति स्म = अगच्छत्


यथा- अलिखत् = लिखति स्म।                हटाएं- ( अ...........)   जोडें- ( .......स्म .....ति )  

(क) अकथयत् = कथयति स्म।

(ख) अनयत् = नयति स्म।

(ग) अपठत् = पठति स्म।

(घ) अधावत् = धावति स्म।

(ङ) अहसत् = हसति स्म। 



               7.7.1 पाठ: - सङ्कल्पः सिद्धिदायकः


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