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8.3.2 कक्षा- अष्टमी, विषय:- संस्कृतम्, तृतीयः पाठ: (डिजीभारतम् ) Class-8th, Subject-Sanskrit, Lesson-3 (DijiBharatam) Abhyaas

                8.3.2  कक्षा- अष्टमी, विषय:- संस्कृतम्, 

                    तृतीयः पाठ:  (डिजीभारतम्  )

                Class-8th,  Subject-Sanskrit, 

              Lesson-3 (DijiBharatam) Abhyaas 

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नमो नमः। 

अष्टमकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-3 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम् । 

अद्य वयं तृतीय-पाठस्य अभ्यासकार्यं कुर्म: । 

 पाठस्य नाम अस्ति- 

                   डिजीभारतम्  

अहं डॉ. विपिन:। 

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                   तृतीयः पाठः   डिजीभारतम् 

                      अभ्यास: (Exercise)


1-अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-

(क) कुत्र ‘डिजिटल इण्डिया’ इत्यस्य चर्चा भवति?

उत्तरम् - सम्पूर्णविश्वे। 


(ख) केन सह मानवस्य आवश्यकता परिवर्तते?

उत्तरम् - कालपरिवर्तनेन।


(ग) आपणे वस्तूनां क्रयसमये केषाम् अनिवार्यता न भविष्यति?

उत्तरम् -रूप्यकाणाम्। 


(घ) कस्मिन् उद्योगे वृक्षाः उपयुज्यन्ते?

उत्तरम् - कर्गदोद्योगे। (कर्गद्-उद्योगे) 


(घ) अद्य सर्वाणि कार्याणि केन साधितानि भवन्ति? 

उत्तरम् - चलदूरभाष-यन्त्रेण। (मोबाईल इति यन्त्रेण)


2- अधोलिखितान् प्रश्नान् पूर्णवाक्येन उत्तरत-

(क) प्राचीनकाले विद्या कथं गृह्यते स्म? 

उत्तरम् - प्राचीनकाले विद्या श्रुतिपरम्परया गृह्यते स्म। 


(ख) वृक्षाणां कर्तनं कथं न्यूनतां यास्यति? 

उत्तरम् - संगणकस्य अधिकाधिकप्रयोगेण वृक्षाणां कर्तनं न्यूनतां यास्यति।


(ग) चिकित्सालये कस्य आवश्यकता अद्य नानुभूयते? (न + अनुभूयते)

उत्तरम् - चिकित्सालये रूप्यकाणाम् आवश्यकता अद्य नानुभूयते। 


(घ) वयम् कस्यां दिशि अग्रेसरामः?

उत्तरम् - वयं डिजीभारतम् इत्यस्यां (इति +अस्यां) दिशि अग्रेसरामः। 


(घ) वस्त्रपुटके केषाम् आवश्यकता न भविष्यति? 

उत्तरम् - वस्त्रपुटके रूप्यकाणाम् आवश्यकता न भवति। 


3- रेखांकितपदान्यधिकृत्य (रेखांकित-पदानि-अधिकृत्य) प्रश्ननिर्माणं कुरुत- 

(क) भोजपत्रेपरि लेखनम् आरब्धम्।

उत्तरम् - भोजपत्रेपरि किम् आरब्धम्?


(ख) लेखनार्थम् कर्गदस्य आवश्यकतायाः अनुभूतिः न भविष्यति।

उत्तरम् - लेखनार्थं कस्य आवस्यकतायाः अनुभूतिः न भविष्यति? 


(ग) विश्रामगृहेषु कक्षं सुनिश्चितं भवेत्।

उत्तरम् - कुत्र कक्षं सुनिश्चितं भवेत्? 


(घ) सर्वाणि पत्रणि चलदूरभाषयन्त्रे सुरक्षितानि भवन्ति।

उत्तरम् - सर्वाणि पत्रणि कुत्र सुरक्षितानि भवन्ति? 


(घ) वयम् उपचारार्थम् चिकित्सालयं गच्छामः।

उत्तरम् - वयं किमर्थं चिकित्सालयं गच्छामः?  


4- उदाहरणमनुसृत्य (उदाहरणम्+अनुसृत्य ) विशेषण विशेष्यमेलनं कुरुत- 

यथा- विशेषण         विशेष्य                  (लिङ्ग, विभक्ति, वचन समान होते हैं।)

        संपूर्णे         भारते 

(क) मौखिकम्                    (1) ज्ञानम्

(ख) मनोगताः            (2) उपकारः

(ग) टंकिता                    (3) काले

(घ) महान्                    (4) विनिमयः

(घ) मुद्राविहीनः            (5) कार्याणि


उत्तरम् - 

(क) मौखिकं                 ज्ञानम्

(ख) मनोगते                 काले 

(ग) टंकितानि                 कार्याणि

(घ) महान्                     उपकारः

(घ) मुद्राविहीनः             विनिमयः


5- अधोलिखितपदयोः सन्धिं कृत्वा लिखत- 

पदस्य + अस्य - पदस्यास्य           (अ+ अ     =आ)     (दीर्घसंधि)

तालपत्र + उपरि - तालपत्रोपरि       (अ  +  उ     =ओ    (गुणसंधि)

       + अतिष्ठत - चातिष्ठत           (अ  +  अ    =आ)     (दीर्घसंधि)

कर्गद + उद्योगे - कर्गदोद्योगे        (अ  +  उ    =ओ)    (गुणसंधि)

क्रय        + अर्थम् - क्रयार्थम्            (अ  +  अ   =आ)      (दीर्घसंधि)

इति        + अनयोः - इत्यनयोः           (इ  +  अ    =य)        (यणसंधि)

उपचार + अर्थम् - उपचारार्थम्       (अ  +  अ   =आ)       (दीर्घसंधि)


6- उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितेन पदेन लघु वाक्य निर्माणं कुरुत-  

यथा-

जिज्ञासा             - मम मनसि वैज्ञानिकानां विषये जिज्ञासा अस्ति।

                                (कर्ता            कर्म            क्रिया- धातु)


(क) आवश्यकता     - अद्यतने काले चलदूरभाषयन्त्रस्य अवश्यकता वर्तते। 

(ख) सामग्री             - भवतः अध्ययन-सामग्री कुत्र अस्ति।

(ग) पर्यावरणसुरक्षा  - पर्यावरणसुरक्षा अस्माकं कर्त्तव्यम्। 

(घ) विश्रामगृहम्     - नगरे एकं सुन्दरं विश्रामगृहम् अस्ति।



7- उदाहरणानुसारम् कोष्ठकप्रदत्तेषु पदेषु चतुर्थी प्रयुज्य रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत- 

यथा - 

 भिक्षुकाय धनं ददातु।        (भिक्षुक)

               चतुर्थी विभक्ति      (पुल्लिंग -  आय)       (स्त्रीलिंग - यै ) 

(क) छात्राय पुस्तकं देहि।                         (छात्र)

(ख) अहम् निर्धनाय वस्त्रणि ददामि।         (निर्धन) 

(ग) लतायै पठनं रोचते।                             (लता)   (स्त्रीलिंग - यै ) 

(घ) रमेशः सुरेशाय अलम्।                         (सुरेश)

(घ) अध्यापकाय नमः।                                (अध्यापक)


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              8.3.1 पाठ: डिजीभारतम्



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