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8.6.2 कक्षा -अष्टमी, विषय:-संस्कृतम्, षष्ठः पाठ: (गृहं शून्यं सुतां विना ) Class-8th, Subject-Sanskrit, Lesson- 6 (Griham Shunyam Sutaam Vina ) Abhyaas

8.6.2   कक्षा -अष्टमी, विषय:-संस्कृतम्, 

षष्ठः पाठ:  (गृहं शून्यं सुतां विना  )

Class-8th,  Subject-Sanskrit, 

Lesson- 6  

(Griham Shunyam Sutaam Vina ) Abhyaas 

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नमो नमः। 

अष्टमकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-3 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम् । 

अधुना वयं षष्ठ-पाठस्य अभ्यासकार्यं कुर्म: । 

 पाठस्य नाम अस्ति 

                   गृहं शून्यं सुतां विना 

अहं डॉ. विपिन:। 

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षष्ठः पाठः - गृहं शून्यं सुतां विना

अभ्यास: (Exercise)


1-अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृत भाषया लिखत-

(क) दिष्टया का समागता? 

उत्तरम् - दिष्टया शालिनी  समागता।


(ख) राकेशस्य कार्यालये का निश्चिता?

उत्तरम् - राकेशस्य कार्यालये महत्वपूर्णा गोष्ठी  निश्चिता।


(ग) राकेशः शालिनीं कुत्र गन्तुं कथयति?

उत्तरम् - राकेशः शालिनीं मालया सह चिकित्सिकां प्रति  गन्तुं कथयति।


(घ) सायंकाले भ्राता कार्यालयात् आगत्य किम् करोति?

उत्तरम् - सायंकाले भ्राता कार्यालयात् आगत्य हस्तपादादिकं प्रक्षाल्य वस्त्रणि परिवर्त्य पूजागृहं च गत्वा दीपं प्रज्वाल्य भवानीस्तुतिं करोति। 


(ङ) राकेशः कस्याः तिरस्कारं करोति? 

उत्तरम् - राकेशः सृष्टेः उत्पादिन्याः शक्त्याः तिरस्कारं करोति।


(च) शालिनी भ्रातरम् कां प्रतिज्ञां कर्तुं कथयति?

उत्तरम् - कन्यायाः रक्षणे, तस्याः पाठने च तदीयः भ्राता दत्तचित्तः तिष्ठेत् इति प्रतिज्ञां कर्तुं शालिनी भ्रातरं कथयति।


(छ) यत्र नार्यः न पूज्यन्ते तत्र किम् भवति?

उत्तरम् - यत्र नार्यः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः भवन्ति।


2- अधोलिखितपदानां संस्कृतरूपं (तत्सम रूपं) लिखत-

(क) कोख

क्रोडः

(ख) साथ

सह

(ग) गोद

कुक्षिः

(घ) भाई

भ्राता

(ङ) कुआँ

कूपः

(च) दूध

पयः


3- उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकप्रदत्तेषु पदेषु तृतीयाविभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत-

(क) मात्रा सह पुत्री गच्छति।                         (मातृ)

(ख) परिश्रमेण विना विद्या न लभ्यते।             (परिश्रम)

(ग) छात्रः लेखन्या लिखति।                         (लेखनी)

(घ) सूरदासः नेत्राभ्याम् अन्धः आसीत्।         (नेत्र)

(ङ) सः मित्रेण साकं समयं यापयति।             (मित्र) 


4- ‘क’ स्तम्भे विशेषणपदं दत्तम् ‘ख’ स्तम्भे च विशेष्यपदम्। तयोर्मेलनम् (तयोः मेलनम्) कुरुत- 

(विशेषण और विशेष्य का लिंग, विभक्ति और वचन समान होता है) 

     ‘क’ स्तम्भः                  ‘ख’  स्तम्भः

(1) स्वस्था         (घ) मनोदशा 

(2) महत्वपूर्णा (घ) गोष्ठी 

(3) जघन्यम्         (क) कृत्यम् 

(4) क्रीडन्ती         (ख) पुत्री

(5) कुत्सिता         (ग) वृत्तिः 


5- अधोलिखितानां पदानां विलोमपदं पाठात् चित्वा लिखत-

(क) श्वः (आने वाला कल)     (क) ह्यः (बीता हुआ कल) 

(ख) प्रसन्ना (खुश)                     (ख) विपन्ना  (दुःखी) 

(ग) वरिष्ठा (बडी)                     (ग) कनिष्ठा  (छोटी) 

(घ) प्रशंसितम् (प्रशंसा करने योग्य)     (घ) तिरस्कृतम् (निंदा करने योग्य)

(ङ) प्रकाशः (प्रकाश)              (ङ) अन्धकारः (अंधेरा) 

(च) सफलाः (सफल)             (च) विफलाः (असफल) 

(छ) निरर्थकः (निरर्थक)             (छ) सार्थकः (सार्थक) 


6- रेखांकित-पदमाधृत्य (पदम्+आधृत्य)  प्रश्ननिर्माणं कुरुत- 

(क) प्रसन्नतायाः विषयोsयम्। 

उत्तरम् - कस्याः विषयोsयम्?     स्त्रीलिंग -षष्ठी विभक्ति-एकवचनम्


(ख) सर्वकारस्य घोषणा अस्ति। 

उत्तरम् - कस्य घोषणा अस्ति?     पुल्लिंग -षष्ठी विभक्ति-एकवचनम्


(ग) अहम् स्वापराधं स्वीकरोमि। 

उत्तरम् - अहं किं स्वीकरोमि?        नपुंसकलिंग -द्वितीया विभक्ति-एकवचनम् 


(घ) समयात् पूर्वम् आयासं करोषि।

उत्तरम् - कस्मात् पूर्वम् आयासं करोषि?        पुल्लिंग -पञ्चमी विभक्ति-एकवचनम्


(ङ) अम्बिका क्रोडे उपविशति।

उत्तरम् - अम्बिका कुत्र उपविशति?                कुत्र- कहां पर (अव्यय-पदम्)


7- अधोलिखिते सन्धिविच्छेदे रिक्तस्थानानि पूरयत- 

यथा- नोक्तवती                = + उक्तवती                  (अ +उ = ओ) गुण संधि

सहसैव                     = सहसा + एव                           (आ + ए = ऐ) वृद्धि संधि

परामर्शानुसारम्        = परामर्श + अनुसारम्                  (अ +अ =आ) दीर्घ संधि

वधार्हा               = वध + अर्हा                         (अ +अ =आ) दीर्घ संधि

अधुनैव               = अधुना + एव                            (आ +ए = ऐ) वृद्धि संधि

प्रवृत्तोsपि               = प्रवृत्तः + अपि                          (ः +अ = ओ S) पूर्वरुप संधि




                                8.6.1 पाठः  गृहं शून्यं सुतां विना 



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