Skip to main content

8.7.2 कक्षा -अष्टमी, विषय:-संस्कृतम्, सप्तमः पाठ: (भारतजनताsहम् ) Class-8th, Subject-Sanskrit, Lesson- 7 (BharatJantaAham ) Abhyaas

              8.7.2   कक्षा -अष्टमी, विषय:-संस्कृतम्,  

                सप्तमः पाठ:  (भारतजनताsहम् )   

                Class-8th,  Subject-Sanskrit,  

                          Lesson- 7  

                  (BharatJantaAham )   Abhyaas  

       ************************************ 

नमो नमः। 

अष्टमकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-3 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम् । 

अधुना वयं सप्तमः-पाठस्य अभ्यासकार्यं कुर्म: । 

 पाठस्य नाम अस्ति 

                   भारतजनताsहम् 

अहं डॉ. विपिन:। 

       ************************************ 

                सप्तमः पाठ:  (भारतजनताsहम् ) 

                   अभ्यास: (Exercise)



प्रश्न 1.
पाठे दत्तानां पद्यानां सस्वरवाचनं कुरुत-

(पाठ में दिए गए पदों का सस्वर वाचन कीजिए-)
उत्तरम्:
विद्यार्थी स्वर में पदों का वाचन करें।

 

प्रश्न 2.
प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-        (प्रश्नों का उत्तर एक पद में लिखिए-)

(क) अहं वसुंधराम् किम् मन्ये?

उत्तरम्:
 कुटुम्बम् 

(ख) मम सहजा प्रकृति का अस्ति?

मैत्री


(ग) अहं कस्मात् कठिना भारतजनताऽस्मि?

कुलिशात्


(घ) अहं मित्रस्य चक्षुषा किं पश्यन्ती भारतजनताऽस्मि?
संसारम्

 

प्रश्न 3. प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत-

(प्रश्नों का उत्तर पूर्ण वाक्य में लिखिए-)
(क) भारतजनताऽहम् कैः परिपूता अस्ति?

उत्तरम्:
भारतजनताऽहम् अध्यात्मसुधा-तटिनी-स्नानैः परिपूता अस्ति।


(ख) समं जगत् कथं मुग्धमस्ति?

समं जगत् गीतैः, नृत्यैः काव्यैश्च मुग्धमस्ति।

(ग) अहं किं किं चिनोमि?

अहं प्रेयः श्रेयः च उभयं चिनोमि।


(घ) अहं कुत्र सदा दृश्ये?

अहं विश्वस्मिन् जगति सदा दृश्ये।

(ङ) समं जगत् कैः कै: मुग्धम् अस्ति?
समं जगत् गीतैः नृत्यैः काव्यैश्च मुग्धम् अस्ति। 

 

प्रश्न 4.
सन्धिविच्छेदं पूरयत-                  (सन्धि विच्छेद पूरा कीजिए)

(क) विनयोपेता              =         विनय + उपेता

उत्तरम्:

(क) विनयोपेता              =         

विनय + उपेता   (  अ + उ = ओ) 

वि न य य्+      पे ता

वि न य य्+  पे ता

वि न य यो पे ता


(ख) कुसुमादपि               = …………………. + ………………

(ख) कुसुमात् + अपि    (त् अ - द)


(ग) चिनोम्युभयम्           = चिनोमि + …………………

(ग) उभयम्                (इ + उ= यु)


(घ) नृत्यैर्मुग्धम्               = ……………………… + मुग्धम्।

(घ) नृत्यैः                                (  ः+ मु = र्)      


(ङ) प्रकृतिरस्ति              = प्रकृतिः + ……………..

(ङ) अस्ति                               ( ः +अ = र)


(च) लोकक्रीडासक्ता         = लोकक्रीडा + …………………

(च) आसक्ता                              (आ+आ = आ) 

 

प्रश्न 5. विशेषण-विशेष्य पदानि मेलयत-    

        (विशेषण-विशेष्य पदों को मिलाइए-)


उत्तरम्:
सुकुमारा                        -                    भारतजनता

सहजा                           -                      प्रकृतिः

विश्वस्मिन्                     -                       जगति

समं                               -                       जगत्

समस्ते                           -                       संसारे

 

 

प्रश्न 6. समानार्थकानि पदानि मेलयत-                  

    (समान अर्थ वाले पदों को मिलाइए)

उत्तरम्:

जगति                           - संसारे

कुलिशात्                       - वज्रात् 

प्रकृति                          - स्वभावः 

चक्षुषा                           - नेत्रेण

तटिनी                           - नदी

वसुन्धराम्                      - पृथ्वीम्

 

प्रश्न 7.  उचितकथानां समक्षम् (आम्) अनुचितकथनानां समक्षं च (न) इति लिखत-


(उचित कथन के सामने आम् और अनुचित कथन के सामने लिखिए)


(क) अहं परिवारस्य चक्षुषा संसारं पश्यामि।

उत्तरम्:              आम्

(ख) समं जगत् मम काव्यैः मुग्धमस्ति।

उत्तरम्:              आम्

(ग) अहम् अविवेका भारतजनता अस्मि।

उत्तरम्:             

(घ) अहं वसुंधराम् कुटुम्बं न मन्ये।

उत्तरम्:              


(ङ) अहं विज्ञानधना ज्ञानधना चास्मि।
 उत्तरम्:
             आम्

 

8.7.1

 

Comments

Popular posts from this blog

छात्र-प्रतिज्ञा (संस्कृत) Student's Pledge (Sanskrit)

छात्र-प्रतिज्ञा (संस्कृत)  Student's Pledge (Sanskrit) भारतं अस्माकं देशः।  वयं सर्वे भारतीया:  परस्परं भ्रातरो भगिन्यश्च ।  अस्माकं देशः प्राणेभ्योsपि प्रियतर: ।  अस्य समृद्धौ विविध-संस्कृतौ च वयं गौरवम् अनुभवाम:।  वयं अस्य सुयोग्याः अधिकारिणो भवितुं सदा प्रयत्नं करिष्याम:।   वयं स्वमातापित्रो: शिक्षकाणां गुरुजनानां च सदैव सम्मानं करिष्याम:।  सर्वैः च सह शिष्टतया व्यवहारं करिष्याम:।  वयं स्वदेशं देशवासिनश्च प्रति विश्वासभाज: भवेम।  (वयं स्वदेशं  देशवासिनश्च प्रति कृतज्ञतया वर्तितुं प्रतिज्ञां कुर्म:।)  तेषां कल्याणे समृद्धौ च अस्माकं  सुखं निहितम् अस्ति। जयतु भारतम्। ------------------------------------------------------------  "भारत हमारा देश है!  हम सब भारतवासी भाई- बहन है!  हमें अपना देश प्राण से भी प्यारा है!  इसकी समृद्धि और विविध संस्कृति पर हमें गर्व है!  हम इसके सुयोग्य अधिकारी बनने का प्रयत्न सदा करते रहेंगे!  हम अपने माता पिता, शिक्षकों और गुरुजनों का सदा आदर करेंगे और  सबके साथ शिष्टता का व्यवहार करेंगे!  हम अपने देश और देशवासियों के प्रति वफादार रहने की प्रतिज्ञ

संस्कृत-वाक्य-रचना (Sanskrit Vakya Rachna)

संस्कृत-वाक्य-रचना (Sanskrit Vakya Rachna)  This Table can be useful to teach Students, How to make/Translate Sentences in Sanskrit..  (click to Zoom)                       1.   प्रथम पुरुष   1.1 पुल्लिंग-   बालक जा रहा है।   (वर्तमान-काल) बालकः गच्छति।  बालक पढ़ता है। बालक: पठति।  दो बालक पढ़ते हैं। (द्विवचन)  बालकौ  पठत:।  सभी बालक पढ़ते हैं। (बहुवचन)  बालका: पठन्ति।  बालक पढ़ेगा। (भविष्य-काल) बालक: पठिष्यति।  ("लट् लकार" में " ष्य " जोड़ने पर "लृट् लकार" का रूप बनता है यथा- पठति+ ष्य=  पठिष्यति) बालक गया। (भूत-काल) बालकः गच्छति स्म।   स्म " का प्रयोग किया  बालकः अगच्छत्।   लंङ् लकार (भूतकाल के लिए "लंङ् लकार" के स्थान पर  " लट्  लकार" में " स्म " का प्रयोग किया जा सकता है।)  बालक ने पढ़ा। बालकः पठति स्म।  (भूतकाल के लिए "लंङ् लकार" के स्थान पर  " लट् लकार" में " स्म " का प्रयोग किया जा सकता है।)  सभी बालकों ने पढ़ा। बालकाः पठन्ति स्म।    वह पढ़ता है। सः पठति। कौन पढ़ता है। कः पठति।  आप पढ़ते

पिपासितः काकः (Thirsty Crow) Sanskrit Story

    पिपासितः  काकः (Thirsty Crow)  Sanskrit Story           एकदा एकः काकः  पिपासितः  आसीत्।  सः जलं पातुम्  इतस्ततः  अभ्रमत्। परं  कुत्रापि  जलं न प्राप्नोत्।  अन्ते सः एकं घटम् अपश्यत्।  घटे  स्वल्पम्  जलम् आसीत्।  अतः सः जलम्  पातुम्  असमर्थः अभवत्।  सः एकम्  उपायम्  अचिन्तयत्।  सः  पाषाणस्य  खण्डानि घटे अक्षिपत्। एवं क्रमेण घटस्य जलम्  उपरि  आगच्छत्।  काकः जलं पीत्वा  संतुष्टः  अभवत्।  परिश्रमेण एव  कार्याणि  सिध्यन्ति न तु मनोरथैः।