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8.8.2 कक्षा -अष्टमी, विषय:-संस्कृतम्, अष्टमः पाठ: (संसारसागरस्य नायकाः ) Class- 8th, Subject- Sanskrit, Lesson- 8 (SansaarSaagarasya NaayakaaH)

8.8.2   कक्षा -अष्टमी, विषय:-संस्कृतम्, 

अष्टमः पाठ:  (संसारसागरस्य नायकाः )
Class- 8th,  Subject- Sanskrit, 
Lesson- 8
(SansaarSaagarasya NaayakaaH)           

       ************************************ 
नमो नमः। 
अष्टमकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-3 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम्। 
अधुना वयं अष्टम-पाठस्य अभ्यासकर्यं कुर्मः।  
 पाठस्य नाम अस्ति 
                   संसारसागरस्य नायकाः
अहं डॉ. विपिन:। 
       ************************************ 

 अष्टमः पाठ:  (संसारसागरस्य नायकाः )
हिंदी-सरलार्थम्

1- एकपदेन उत्तरत-

(क) कस्य राज्यस्य भागेषु गजधरः शब्दः प्रयुज्यते?

उत्तरम्- राजस्थानस्य

(ख) गजपरिमाणं कः धारयति?

उत्तरम्- गजधरः

(ग) कार्यसमाप्तौ वेतनानि अतिरिच्य गजधरेभ्यः किं प्रदीयते स्म?

उत्तरम्- सम्मानम्

(घ) के शिल्पिरूपेण न समादृताः भवन्ति?

उत्तरम्- गजधराः।


2- अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि लिखत-

(क) तडागाः कुत्र निर्मीयन्ते स्म?

उत्तरम्- तडागाः (अशेषे) सम्पूर्ण देशे निर्मीयन्ते स्म।

(ख) गजधराः कस्मिन् रूपे परिचिताः?

उत्तरम्- गजधराः वास्तुकाराणां रूपे परिचिताः।

(ग) गजधराः किं कुर्वन्ति स्म?

उत्तरम्- गजधराः नगरनियोजनात् लघुनिर्माण पर्यन्तं सर्वाणि कार्याणि कुर्वन्ति स्म।

(घ) के सम्माननीयाः?

उत्तरम्- गजधराः सम्माननीयाः।


3- रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्न-निर्माणं कुरुत-

(क) (सुरक्षाप्रबन्धनस्य) दायित्वं गजधराः निभालयन्ति स्म।

उत्तरम्- कस्य दायित्वं गजधराः निभालयन्ति स्म?

(ख) (तेषां) स्वामिनः असमर्थाः सन्ति।

उत्तरम्- केषां स्वामिनः असमर्थाः सन्ति?

(ग) कार्यसमाप्तौ (वेतनानि) अतिरिच्य सम्मानमपि प्राप्नुवन्ति।

उत्तरम्- कार्यसमाप्तौ कानि अतिरिच्य सम्मानमपि प्राप्नुवन्ति?

(घ) गजधरः सुन्दरः शब्दः अस्ति।

उत्तरम्- कः सुन्दरः शब्दः अस्ति?

(ङ) (तडागाः) संसारसागराः कथ्यन्ते।

उत्तरम्- काः संसारसागराः कथ्यन्ते?


4- अधोलिखितेषु यथा अपेक्षितं सन्धिं/विच्छेदं कुरुत-

(क) अद्य + अपि                             = अद्यापि                 (अ + अ =आ)

(ख) स्मरण + अर्थम्                       = स्मरणार्थम्             (अ + अ =आ)

(ग) इति + अस्मिन्                          = इत्यस्मिन्              (इ + अ = य)

(घ) एतेषु + एव                              = एतेष्वेव                  (उ+ ए = (व् ए) वे)

(घ) सहसा + एव                             = सहसैव           (आ + ए = ऐ)


5- मञ्जूषातः समुचितानि पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-

रचयन्ति,      गृहीत्वा,     सहसा,     जिज्ञासा,     सह


(क) छात्रः पुस्तकानि गृहीत्वा विद्यालयं गच्छन्ति।

(ख) मालाकाराः पुष्पैः मालाः रचयन्ति।

(ग) मम मनसि एका जिज्ञासा वर्तते।

(घ) रमेशः मित्रैः सह विद्यालयं गच्छति।

(ङ) सहसा बालिका तत्र अहसत।


6- पदनिर्माणं कुरुत-

                    धातुः         प्रत्ययः             पदम्

यथा              कृ +              तुमुन्         = कर्तुम्                 (तुमुन् (तुम्) - के लिए)


                    हृ +              तुमुन्         = हर्तुम्

                    तृ +               तुमुन्        = तर्तुम्


यथा -           नम्         +        क्त्वा         = नत्वा                    (क्त्वा (त्वा) - कर)

                    गम्         +       क्त्वा         = गत्वा

                    त्यज्       +         क्त्वा        = त्यक्त्वा

                    भुज्        +        क्त्वा        = भुक्त्वा


           उपसर्गः       धातुः          प्रत्ययः             पदम्

यथा- उप       +     गम्        +      ल्यप्             = उपगम्य            ल्यप् (य)- कर

         सम्        +     पूज्       +      ल्यप्              = सम्पूज्य

                 +      नी        +     ल्यप्              = आनीय

        प्र            +     दा        +    ल्यप्              = प्रदाय


7- कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु समुचितां विभक्तिं योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-

यथा- विद्यालयं परितः वृक्षाः सन्ति।         (विद्यालय)        

                        (परितः, उभयतः, सर्वतः, धिक् आदि - से पूर्व द्वितीया विभक्ति

                        पुल्लिङ्ग.- म्,     औ,     आन।                 स्त्रीलिङ्ग - म्. ए, आः)


(क) ग्रामम् उभयतः ग्रामाः सन्ति।                (ग्राम)

(ख) नगरम् सर्वतः अट्टालिकाः सन्ति।         (नगर)

(ग) धिक् कापुरुषम्                             (कापुरुष)


यथा- मृगाः मृगैः सह धावन्ति।                         (मृग)            (सह से पूर्व तृतीया विभक्ति)

            (पुल्लिङ्ग.- एन, भ्याम्, ऐः                        स्त्रीलिङ्ग - अया, भ्याम्, भिः)


(क) बालकाः बालिकाभिः सह पठन्ति।         (बालिका)

(ख) पुत्र पित्रा सह आपणं गच्छति।                 (पितृ)

(ग) शिशुः मात्रा सह क्रीडति।                         (मातृ)

 


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