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विभक्ति-परिचयः (Vibhakti parichaya)

 विभक्ति-परिचयः (Vibhakti parichaya)


1) कर्ता (प्रथमा)                       -            ने

2) कर्म (द्वितीया)                     -            को

3) करण (तृतीया)                    -            से, के द्वारा

4) सम्प्रदान (चतुर्थी)                -           के लिए

5) अपादान (पञ्चमी)                -            से (पृथक) 

6) संबंध (षष्ठी)                        -            का, के, की, रा, रे, री

7) अधिकरण (सप्तमी)                     में, पर


राम ने(1), विभीषण के (6) भाई रावण को(2), बाण के द्वारा(3), सीता की रक्षा के लिए(4) अयोध्या से(5) आकर लंका में(7) मारा।


रामः(1) विभीषणस्य(6) भ्रातारं रावणं(2) बाणेन(3) सीता-रक्षणाय(4) अयोध्यात्(5) आगत्य (ल्यप् प्रत्यय) लंकायाम्(7) हन्ति।  

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विभक्ति       एकवचनम्                     द्विवचनम्                             बहुवचनम्

प्रथमा      बालकः (बालक ने)       बालकौ (दो बालकों ने)                 बालकाः (सभी बालकोॆ ने)

                (अः                                      औ                                              आः) 

             


द्वितीया -  बालकम् (बालक कोॆ)     बालकौ (दो बालकों को)              बालकान् (सभी बालकों को)

             (म्                                           औ                                                  आन्)        
         


तृतीया -  बालकेन् (बालक से, द्वारा)    बालकाभ्याम् (दो बालकों से)        बालकै: (सभी बालकों से)

            (एन                                       आभ्याम्                                             ऐः)


         

चतुर्थी - बालकाय (बालक के लिए)    बालकाभ्याम् (दो बालकों के लिए)    बालकेभ्य: (सभी बालकों के लिए)

              (आय                                 आभ्याम्                                                एभ्यः)

         


पञ्चमी - बालकात् (बालक से)            बालकाभ्याम् (दो बालकों से)            बालकेभ्य: (सभी बालकों से)

            (आत्                                  आभ्याम्                                               एभ्यः )


            

षष्ठी  -  बालकस्य (बालक का)       बालकयो: (दो बालकोॆ का)           बालकानाम् (सभी बालकोॆ का,के,की)

           (स्य                                      अयोः                                                   आनाम् )


सप्तमी - बालके (बालक में)        बालकयो: (दो बालकोॆ में)           बालकेषु (सभी बालकों में)

              (ए                                  अयोः                                                     एषु) 


सम्बोधनम् - हे बालक!          हे बालकौ!                                              हे बालकाः!

                ( हे  -                        ....औ                                                 .....आः ) 


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ध्यातव्यम् 

विभक्तयः

1.कारकविभक्तयः। 

2. उपपदविभक्तिः।

1. कारकविभक्तयः 

क्रियामाधृत्य यत्र द्वितीया-तृतीयाद्याः विभक्तयः भवन्तिताः कारकविभक्तयः’ इत्युच्यन्ते। 

क्रिया के आधार पर जहां (जब) द्वितीया, तृतीया आदि विभक्ति होती हैं उन्हें कारक विभक्ति कहते हैं।

यथा-     रामः ग्रामं गच्छति। बालकाः यानेन यान्ति इत्यादयः।। 

(यहां गच्छती क्रिया के होने से ग्राम शब्द में द्वितीय विभक्ति का प्रयोग कर ग्राम रूप बना है )

—————————-2. उपपदविभक्तिः

पदमाश्रित्य प्रयुक्ता विभक्तिः उपपदविभक्तिः’ इत्युच्यते।

पद (शब्द) के आधार पर प्रयोग की जाने वाली विभक्ति उपपद विभक्ति कहलाती है 

यथा- 

ग्रामं परितः वनम्। 

रामेण सह लक्ष्मणः गच्छति। 

अत्र परितः’ इति योगे ग्रामपदात् द्वितीया तथा च 

यहां परित: शब्द होनेके कारण (उससे पहले वाले शब्द) ग्राम शब्द में द्वितीया विभक्ति

सह’ इति योगे रामपदात् प्रयुक्ता तृतीया उपपदविभक्तिः अस्ति।

और सह शब्द होने से (उससे पहले वाले शब्द)  राम शब्द में तृतीया विभक्ति का प्रयोग रामेण हुआ है।



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