Skip to main content

7.10.2 कक्षा- सप्तमी, विषय:- संस्कृतम् दशमः पाठः (विश्वबन्धत्वम्) अभ्यासः Class- 7th, Subject- Sanskrit, Lesson- 10 (VishvBandhutvaM) - Abhyaas

 

7.10.2 कक्षा- सप्तमीविषय:- संस्कृतम्

  दशमः पाठः (विश्वबन्धत्वम्) अभ्यासः

Class- 7th,  Subject- Sanskrit,  Lesson- 10

 (VishvBandhutvaM) - Abhyaas

       ************************************

नमो नमः। 

सप्तमीकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-2 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम्। 

अद्य वयं दशम-पाठस्य अभ्यासकार्यं कुर्म: ।  

पाठस्य नाम अस्ति -   

                         विश्वबन्धत्वम्

अहं डॉ. विपिन:। 

       ************************************  

 दशमः पाठः (विश्वबन्धत्वम्)

अभ्यासः (Exercise) 

प्रश्न 1: उच्चारणं कुरुत-

दुर्भिक्षे-अकाल पढ़ने पर,                          राष्ट्रविप्लवे - देश पर संकट आने पर,              
विश्वबन्धुत्वम्- विश्व के प्रति भाईचारा,        विश्वसन्ति- विश्वास करते हैं,
 उपेक्षाभावाम् - उपेक्षा का भाव,          विद्वेषस्य- द्वेष का,
ध्यातव्यम्- ध्यान रखना चाहिए,           दुःखभाक्- दुख का भागी,
 प्रदर्शयन्ति- प्रदर्शित करते हैं। 

विद्यार्थी इसका उच्चारण करें।

 

प्रश्न 2: मञ्जूषातः समानार्थकपदानि चित्वा लिखत-

परस्य,               दुःखम्,                 आत्मानम्,  
 बाधितः,             परिवारः,             सम्पन्नम्,             त्यक्त्वा,             सम्पूर्णे 

क) स्वकीयम्             ...........................
  ख) अवरुद्धः               ...........................
ग) कुटुम्बकम्          ...........................
घ) अन्यस्य              ...........................
ङ) अपहाय              ...........................
च)     समृद्धम्              ...........................
छ)    कष्टम्                 ...........................
ज)     निखिले              ...........................
उत्तराणि:
क)    स्वकीयम्        आत्मानम् - (अपना)
ख)   अवरुद्धः         बाधितः -     (रोकना)
ग)    कुटुम्बकम्       परिवारः -     (परिवार )
घ)    अन्यस्य           परस्य          (दूसरे का)
ङ)    अपहाय           त्यक्त्वा      (छोड़ कर)
च)    समृद्धम्           सम्पन्नम्    (अमीर)
छ)   कष्टम्             दुःखम्       (दुख)
ज)    निखिले           सम्पूर्णे     (सारे)

 

प्रश्न 3 : रेखाङ्कितानि पदानि संशोध्य लिखत

(क) छात्राः क्रीडाक्षेत्रे कन्दुकात्  क्रीडन्ति।

(ख) ते बालिकाः मधुरं गायन्ति।

(ग) अहं पुस्तकालयेन पुस्तकानि आनयामि।

(घ) त्वं किं नाम?

(ङ) गुरुं नमः।

उत्तराणि:

 (क) छात्रा: क्रीडाक्षेत्रे कन्दुकेन क्रीडन्ति। 

 (ख) ता: बालिका: मधुरं गायन्ति।

(ग) अहं पुस्तकालयात् पुस्तकानि आनयामि।

(घ) किं नाम?

(ङ) गुरवे नम:।

 

प्रश्न 4: मञ्जूषातः विलोमपदानि चित्वा लिखत 

अधुना,   मित्रतायाः,        लघुचेतसाम्,       गृहीत्वा,             दुःखिनः,             दानवाः


क)     शत्रुतायाः           ...........................

ख)    पुरा                   ...........................

ग)     मानवाः              ...........................

घ)     उदारचरितानाम्  ...........................

ङ)     सुखिनः              ...........................

च)     अपहाय              ...........................

उत्तराणि:
क)    शत्रुतायाः (शत्रुता)     -     मित्रतायाः (मित्रता का)
ख)   पुरा (पहले)               - अधुना (अभी)
ग)    मानवाः (मानव)         -         दानवाः (दानव) 
घ)    उदारचरितानाम् (बड़े दिल वालों का)   -     लघुचेतसाम् (छोटे दिल वालों का)
ङ)    सुखिनः (सुखी)           -   दुःखिनः (दुखी)
च)    अपहाय (छोड़ कर)     -     गृहीत्वा (ले कर)


प्रश्न 5: अधोलिखितपदानां लिङ्गं, विभक्तिं वचनञ्च लिखत-

 पदानि           लिङ्गम्             विभक्तिः             वचनम्

क)     बन्धुः          ................      ................      ................

ख)    देशान्        ..................      ..................      ..................

ग)     घृणायाः      ..................      .................       ...............

घ)     कुटुम्बकम्  .................      ..................      ..................

ङ)     रक्षायाम्     ..................      ..................      ..................

च)     ज्ञानविज्ञानयोः  ...............      ................      ..................

उत्तराणि:

पदानि            लिङ्गम्          विभक्ति:           वचनम्‌

क) बन्धु:-        पुँल्लिङ्गम्,      प्रथमा,            एकवचनम्
ख) देशान्‌-        पुँल्लिङ्गम् ,      द्वितीया ,           बहुवचनम्
ग) घृणाया:-     स्त्रीलिङ्गम् ,     पञ्चमी/ षष्ठी ,   एकवचनम्
घ) कुटुम्बकम्‌-  नपुंसकलिङ्गम्,   प्रथमा/द्वितीया,        एकवचनम्
ङ) रक्षायाम्‌-     स्त्रीलिङ्गम् ,     सप्तमी,           एकवचनम्
च) ज्ञानविज्ञानयोः- नपुंसकलिङ्गम् ,     सप्तमी ,           द्विवचनम्
 

प्रश्न 6: कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु समुचितां विभक्तिं योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- 

(क) विद्यालयम् उभयतः वृक्षाः सन्ति। (विद्यालय)

 .................... उभयतः गोपालिकाः। (कृष्ण)

 

(ख) ग्रामं परितः गोचारणभूमिः। (ग्राम)

.................... परितः भक्ताः। (मन्दिर)

 

(ग) सूर्याय नमः। (सूर्य)

................ नमः। (गुरु)

 

(घ) वृक्षस्य उपरि खगाः। (वृक्ष)

................ उपरि सैनिकः। (अश्व)

उत्तराणि:

 (क) विद्यालयम्‌ उभयत: वृक्षा: सन्ति। (विद्यालय)

कृष्णम् उभयत: गोपालिका:। (कृष्ण)

 (उभयतः शब्द से पहले  द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।) 

(ख) ग्रामं परित: गोचारणभूमि:। (ग्राम)

मन्दिरं परित: भक्ता:। (मन्दिर)

 (परितः शब्द से पहले  द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।)

(ग) सूर्याय नम:। (सूर्य)

गुरवे नम:। (गुरु)

 (नमः शब्द से पहले चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)

(घ) वृक्षस्य उपरि खगा:। (वृक्ष)

अश्वस्य उपरि सैनिक:। (अश्व)

 (उपरि शब्द से पहले षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)


प्रश्न 7: कोष्ठकात् समुचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-

(क) .................... नमः। (हरिं/ हरये)                     

(नमः शब्द से पहले चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)

(ख) .................... पारितः कृषिक्षेत्राणि सन्ति। (ग्रामस्य/ ग्रामम्) 

(परितः शब्द से पहले द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।)

(ग) .................... नमः। (अम्बायाः/ अम्बायै)          

(नमः शब्द से पहले चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।) 

(घ) .................... उपरि अभिनेता अभिनयं करोति। (मञ्चस्य/ मञ्चम्) 

(उपरि शब्द से पहले षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)  

(ङ) ................ उभयतः पत्रौ स्तः। (पितरम्/ पितुः)               (उभयतः शब्द से पहले द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।) 

उत्तराणि:

(क) हरये नम:। (हरिं/ हरये)
(ख) ग्रामम्‌ परित: कृषिक्षेत्राणि सन्ति। (ग्रामस्य/ ग्रामम्‌)
(ग) अम्बायै नम:। (अम्बाया:/ अम्बायै)
(घ) मञ्चस्य उपरि अभिनेता अभिनयं करोति। (मञ्चस्य/ मञ्चम्‌)
(ङ) पितरम्‌ उभयत: पुत्रौ स्त:। (पितरम्‌/ पितु:)

 

-----------------------------------------------------------

ध्यातव्यम् 

विभक्तयः

1.कारकविभक्तयः। 

2. उपपदविभक्तिः।

1. कारकविभक्तयः 

क्रियामाधृत्य यत्र द्वितीया-तृतीयाद्याः विभक्तयः भवन्ति, ताः कारकविभक्तयः’ इत्युच्यन्ते। 

क्रिया के आधार पर जहां (जब) द्वितीया, तृतीया आदि विभक्ति होती हैं उन्हें कारक विभक्ति कहते हैं।

यथा-     रामः ग्रामं गच्छति। बालकाः यानेन यान्ति इत्यादयः।। 

(यहां गच्छती क्रिया के होने से ग्राम शब्द में द्वितीय विभक्ति का प्रयोग कर ग्राम रूप बना है )

—————————-2. उपपदविभक्तिः

पदमाश्रित्य प्रयुक्ता विभक्तिः उपपदविभक्तिःइत्युच्यते।

पद (शब्द) के आधार पर प्रयोग की जाने वाली विभक्ति उपपद विभक्ति कहलाती है 

यथा- 

ग्रामं परितः वनम्। 

रामेण सह लक्ष्मणः गच्छति।

अत्र परितःइति योगे ग्रामपदात् द्वितीया तथा च

यहां परित: शब्द होनेके कारण (उससे पहले वाले शब्द) ग्राम शब्द में द्वितीया विभक्ति

सहइति योगे रामपदात् प्रयुक्ता तृतीया उपपदविभक्तिः अस्ति।

और सह शब्द होने से (उससे पहले वाले शब्द)  राम शब्द में तृतीया विभक्ति का प्रयोग रामेण हुआ है।




Comments

Popular posts from this blog

छात्र-प्रतिज्ञा (संस्कृत) Student's Pledge (Sanskrit)

छात्र-प्रतिज्ञा (संस्कृत)  Student's Pledge (Sanskrit) भारतं अस्माकं देशः।  वयं सर्वे भारतीया:  परस्परं भ्रातरो भगिन्यश्च ।  अस्माकं देशः प्राणेभ्योsपि प्रियतर: ।  अस्य समृद्धौ विविध-संस्कृतौ च वयं गौरवम् अनुभवाम:।  वयं अस्य सुयोग्याः अधिकारिणो भवितुं सदा प्रयत्नं करिष्याम:।   वयं स्वमातापित्रो: शिक्षकाणां गुरुजनानां च सदैव सम्मानं करिष्याम:।  सर्वैः च सह शिष्टतया व्यवहारं करिष्याम:।  वयं स्वदेशं देशवासिनश्च प्रति विश्वासभाज: भवेम।  (वयं स्वदेशं  देशवासिनश्च प्रति कृतज्ञतया वर्तितुं प्रतिज्ञां कुर्म:।)  तेषां कल्याणे समृद्धौ च अस्माकं  सुखं निहितम् अस्ति। जयतु भारतम्। ------------------------------------------------------------  "भारत हमारा देश है!  हम सब भारतवासी भाई- बहन है!  हमें अपना देश प्राण से भी प्यारा है!  इसकी समृद्धि और विविध संस्कृति पर हमें गर्व है!  हम इसके सुयोग्य अधिकारी बनने का प्रयत्न सदा करते रहेंगे!  हम अपने माता पिता, शिक्षकों और गुरुजनों का सदा आदर करेंगे और  सबके साथ शिष्टता का व्यवहार करेंगे!  हम अपने देश और देशवासियों के प्रति वफादार रहने की प्रतिज्ञ

संस्कृत-वाक्य-रचना (Sanskrit Vakya Rachna)

संस्कृत-वाक्य-रचना (Sanskrit Vakya Rachna)  This Table can be useful to teach Students, How to make/Translate Sentences in Sanskrit..  (click to Zoom)                       1.   प्रथम पुरुष   1.1 पुल्लिंग-   बालक जा रहा है।   (वर्तमान-काल) बालकः गच्छति।  बालक पढ़ता है। बालक: पठति।  दो बालक पढ़ते हैं। (द्विवचन)  बालकौ  पठत:।  सभी बालक पढ़ते हैं। (बहुवचन)  बालका: पठन्ति।  बालक पढ़ेगा। (भविष्य-काल) बालक: पठिष्यति।  ("लट् लकार" में " ष्य " जोड़ने पर "लृट् लकार" का रूप बनता है यथा- पठति+ ष्य=  पठिष्यति) बालक गया। (भूत-काल) बालकः गच्छति स्म।   स्म " का प्रयोग किया  बालकः अगच्छत्।   लंङ् लकार (भूतकाल के लिए "लंङ् लकार" के स्थान पर  " लट्  लकार" में " स्म " का प्रयोग किया जा सकता है।)  बालक ने पढ़ा। बालकः पठति स्म।  (भूतकाल के लिए "लंङ् लकार" के स्थान पर  " लट् लकार" में " स्म " का प्रयोग किया जा सकता है।)  सभी बालकों ने पढ़ा। बालकाः पठन्ति स्म।    वह पढ़ता है। सः पठति। कौन पढ़ता है। कः पठति।  आप पढ़ते

पिपासितः काकः (Thirsty Crow) Sanskrit Story

    पिपासितः  काकः (Thirsty Crow)  Sanskrit Story           एकदा एकः काकः  पिपासितः  आसीत्।  सः जलं पातुम्  इतस्ततः  अभ्रमत्। परं  कुत्रापि  जलं न प्राप्नोत्।  अन्ते सः एकं घटम् अपश्यत्।  घटे  स्वल्पम्  जलम् आसीत्।  अतः सः जलम्  पातुम्  असमर्थः अभवत्।  सः एकम्  उपायम्  अचिन्तयत्।  सः  पाषाणस्य  खण्डानि घटे अक्षिपत्। एवं क्रमेण घटस्य जलम्  उपरि  आगच्छत्।  काकः जलं पीत्वा  संतुष्टः  अभवत्।  परिश्रमेण एव  कार्याणि  सिध्यन्ति न तु मनोरथैः।