अपि स्वर्णमयि लङ्का,
न मे लक्ष्मण रोचते।
जननी जन्मभूमिश्च
स्वर्गादपि गरीयसि।।
(श्रीराम)
(हे) लक्ष्मण मुझे यह सोने की लंका (भी) प्रिय नहीं है, (क्योंकि) जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी प्रिय/ बड़ी होती है।
गणतंत्र-दिवसस्य शुभाशयाः....
वन्दे भारतमातरम् ।।
समस्त भारतवासियों को *गणतंत्र दिवस* की हार्दिक बधाई...
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