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6.13.1 कक्षा- षष्ठी, विषय:- संस्कृतम्, त्रयोदशः पाठ: ( विमानयानं रचयामः) Class-6th, Subject-Sanskrit, Lesson- 13 (VimaanyaanaM RachyamH)

 

 6.13.1   कक्षा- षष्ठी, विषय:- संस्कृतम्,  
त्रयोदशः पाठ:  ( विमानयानं रचयामः) 
Class-6th,  Subject-Sanskrit, 
Lesson- 13 (VimaanyaanaM RachyamH) 

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नमो नमः। 
षष्ठकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-1 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम् । 
अधुना वयं त्रयोदश-पाठं पठामः । 
 पाठस्य नाम अस्ति 
                 विमानयानं रचयामः
अहं डॉ. विपिन:। 
       ************************************ 

त्रयोदशः पाठ:  ( विमानयानं रचयामः)  

(विमानयान को बनाएं

पाठस्य परिचय

               इस पाठ में बच्चों के मन की विशाल कल्पना का दिग्दर्शन कराया गया है। साथ ही उनके मन में छिपी हुई सुन्दरता और परोपकार की तरफ भी संकेत किया गया है। बच्चे अपने मन की कल्पना को साकार रूप देने में किस प्रकार संलग्न हो सकते हैं। उसका भी निर्देश दिया गया है।

पाठस्य सारः

               इस पाठ में चार पद्य हैं। प्रथम श्लोक में कहा गया है कि आओ हम विमान की रचना करें और आकाश में स्वच्छन्द होकर घूमें। द्वितीय श्लोक में कहा गया है कि हम ऊँचे-ऊँचे वृक्षों और भवनों को लाँघकर आकाश में छलाँग लगाएँ। हिमालय पर्वत को भी पार करके चन्द्रमा पर कदम रखें। तृतीय श्लोक में बताया है कि हम सूर्य आदि ग्रहों को गिनकर तथा तारों से एक हार बनाएँ। चतुर्थ श्लोक में कहा है कि हम बादलों की कतार को लेकर लौटें और पृथ्वी पर आकर दीन दुःखियों की सहायता करें। इस कविता में कवि के उदात्त विचार अभिव्यक्त हैं ।

 

विमानयानं रचयाम

 

(क) राघव! माधव! सीते! ललिते!
विमानयानं रचयाम।
नीले गगने विपुले विमले
वायुविहारं करवाम॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
ललिते!-हे ललिता (oh Lalita), विमानयानम्-हवाई जहाज़ को (aeroplane), रचयाम-बनाएँ (should make), गगने-आकाश में (in sky), विपुले-बहुत अधिक (विस्तृत) (expansive), विमले-स्वच्छ (में) (clear), वायुविहारम्-वायु में भ्रमण (flying in the sky), करवाम-करें (should do)

सरलार्थ :
हे राघव! हे माधव! हे सीता! हे ललिता!
(हम सब) विमान (हवाई जहाज़) बनाएँ।
बहुत विस्तृत स्वच्छ नीले आकाश में
वायु विहार (भ्रमण) करें।।

(ख) उन्नतवृक्षं तुङ्ग भवनं
क्रान्त्वाकाशं खलु याम।
कृत्वा हिमवन्तं सोपानं
चन्दिरलोकं प्रविशाम॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
उन्नतवृक्षम्-ऊँचे वृक्ष को (high tree), तुङ्गभवनम्-ऊँचे भवन को (high buildings), क्रान्त्वा -पार करके (crossing over), खलु-निश्चय से (surely), याम-जाएँ (should go), कृत्वा-करके (do), हिमवन्तम्-बर्फ को (की) (snow made), सोपानम्-सीढ़ी को (ladder), चन्दिरलोकम्-चन्द्रलोक में (को) (moonland), प्रविशाम-प्रवेश करें (should enter)

सरलार्थ :
ऊँचे वृक्ष, ऊँचे मकान को निश्चय से पार करके आकाश में जाएँ। बर्फ की सीढ़ी बना करके चन्द्रलोक में प्रवेश करें।

(ग) शुक्रश्चन्द्रः सूर्यो गुरुरिति
ग्रहान् हि सर्वान् गणयाम।
विविधाः सुन्दरताराश्चित्वा
मौक्तिकहारं रचयाम॥

शब्दार्थाः (Word Meanings):
गुरु:-गुरु (बृहस्पति) (Jupiter), इति-इत्यादि (आदि) (et cetera), ग्रहान्-ग्रहों को (planets), गणयाम-गिर्ने (should count), विविधाः-अनेक (many), सुन्दरतारा:-सुन्दर तारों को (lovely stars), चित्वा-चुनकर (by picking up), मौक्तिकहारम्-मोतियों के हार को (pearl neckless), रचयाम-बनाएँ (should make)।सरलार्थ : (हम) शुक्र, चन्द्र, सूर्य और गुरु आदि सभी ग्रहों को निश्चय से गिने। अनेक सुन्दर तारे चुनकर मोतियों के हार बनाएँ।

(घ) अम्बुदमालाम् अम्बरभूषाम्
आदायैव हि प्रतियाम।
दुःखित-पीडित-कृषिकजनानां
गृहेषु हर्षे जनयाम॥

शब्दार्थाः (Word Meanings):
अम्बुदमालाम्-बादलों की पंक्तियों को (cloud-garland), अम्बरभूषाम्-आकाश की शोभा को (beauty of sky), आदाय-लेकर (taking), हि-निश्चय से (surely), प्रतियाम-वापस लौटें (should return), दुःखित-दुखी (दुख से युक्त) (sad), पीड़ित-पीड़ा से युक्त (victim), कृषिकजनानाम्-किसानों के (farmers’), गृहेषु-घरों में (in houses), हर्षम्-प्रसन्नता को (in happiness), जनयाम-उत्पन्न करें (should create)

सरलार्थ :
(हम) निश्चय से बादलों की माला (पंक्तियों) को और आकाश की शोभा को लेकर ही वापस लौटें और दुख पीड़ा से युक्त किसानों के घरों में खुशी उत्पन्न करें।


शब्दार्थाः –

1)    विमानयानम् = हवाई जहाज,

2)    रचयाम = निर्माण करते हैं।

3)    विपुले = विस्तृत।

4)    विमले = स्वच्छ।

5)    वायुविहारम = वायु विहार।

6)    करवाम = करें।

7)    उन्नतवृक्षम् = ऊँचे पेड़।

8)    तुङ्गम् = ऊँचा।

9)    क्रान्त्वाकाश = आकाश को पार करके।

10) याम = चलें ।

11) कृत्वा = करके।

12) हिमवन्तं = हिमालय को।

13) सोप निमु= सीढी ।

14) चन्दिरलोकम् = चन्द्रलोकम को।

15) प्रविष्ठाम = प्रवेश करें।

16) शुक्रश्चन्द्रः = शुक्र और चन्द्रमा ।

17) सूर्योगुरिति = सूर्य और गुरू।

18) सुन्दरताराचित्वा = सुन्दर तारों को चुनकर ।

19) मौक्तिकहारं = मोती का हार ।

20) अम्बुदमालाम् = मेघमाला को ।

21) अम्बरभूषाम् = आकाश की शोभा को ।

22) आदाय = लेकर के।

23) प्रतियाम = लौटें।

24) दुःखित = दुःख से।

25) गृहेषु = घरों में।

26) हर्षम् = खुशी ।

27) जनयाम = लायें।


प्रश्न 1. निम्न पङ्क्तीन् पठित्वा तदाधारितान् प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत (निम्न पंक्तियों को पढ़कर उसपर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए)

उन्नतवृक्षं तुझं भवनं
क्रान्त्वाकाशं खलु याम।
कृत्वा हिमवन्तं सोपानं
चन्दिरलोकं प्रविशाम ।।

I. एकपदेन उत्तरत (एक शब्द में उत्तर दीजिए)
(i)
वयं कीदृशं भवनं क्रान्त्वा आकाशं याम?
(ii)
वयं उन्नतवृक्षं क्रान्त्वा कुत्र याम?
उत्तर:
(i) तुङ्गम्
(ii)
आकाशम्


पूर्ण वाक्येन उत्तरत (पूरे वाक्य में उत्तर दीजिए)
(i) वयं किं कृत्वा चन्दिरलोकं प्रविशाम?
उत्तर:
(i) वयं हिमवन्तं सोपानं कृत्वा चन्दिरलोकं प्रविशाम।


III. भाषिक कार्यम् (भाषा सम्बन्धी कार्य)

(i) ‘क्रान्त्वाकाशं खलु याम’। अत्र क्रियापदं किम्?
(क) आकाशम्
(ख) खलु
(ग) याम
(घ) आकाशे
उत्तर:
(ग) याम्


(ii) ‘हिमवन्तं सोपानम्’ अनयोः पदयोः विशेषणं किम् अस्ति?
(क) हिमवन्तम्
(ख) हिमवतः
(ग) सोपानः
(घ) सोपानम्
उत्तर:
(क) हिमवन्तम्


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