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7.15.1 कक्षा- सप्तमी, विषय:- संस्कृतम् पञ्चदश पाठः – लालनगीतम् Class- 7th, Subject- Sanskrit, Lesson- 15 ( Laalan Geetam)

   7.15.1 कक्षा- सप्तमी,  विषय:- संस्कृतम्

 पञ्चदश पाठः – लालनगीतम्

Class- 7th,  Subject- Sanskrit,  Lesson- 15
 ( Laalan Geetam) 

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नमो नमः। 

सप्तमीकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-2 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम्। 

अद्य वयं दशम-पाठं पठामः ।  

पाठस्य नाम अस्ति -   

                        लालनगीतम् 

अहं डॉ. विपिन:। 

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 पञ्चदश पाठः – लालनगीतम्


(1) उदिते सूर्य धरणी विहसति।


पक्षी कृजति कमलं विकसति||


अन्वयः - उदिते सूर्य धरणी विहसति । पक्षी कूजति कमलं विकसति।


सरलार्थ – सूर्य के निकलने पर पृथ्वी हसती है। (अर्थात् पूरी पृथ्वी प्रकाशित हो जाती है) पक्षी चहचहाते हैं , कमल खिलता है।


 


(2) नदति मन्दिरे उच्चैर्ढक्का |


सरित: सलिले सेलति नौका||


अन्वयः- मन्दिरे ढक्का उच्चैः नदति । सरितः सलिले नौका सेलति।


सरलार्थ - मन्दिर में जोर से नगाड़ा बजता है । नदी के जल में नौका तैरती है।


 


(3) पुष्पे पुष्पे नानारङ्गाः।


तेषु डयन्ते चित्रपतङ्गा: ||


अन्वयः- पुष्पे पुष्पे नानारङ्गाः। तेषु चित्रपतङ्गा: डयन्ते।


सरलार्थ - प्रत्येक फूल में भिन्न भिन्न रंग हैं तथा उन पर तितलियाँ मण्डराती है।


 


(4) वृक्षे वृक्षे नूतनपत्रम्।


विविधैर्वणैर्विभाति चित्रम् ||


अन्वयः- वृक्षे वृक्षे नूतनपत्रं विविधैः वर्णैः चित्रं विभाति।


सरलार्थ - प्रत्येक पेड़ पर नए पत्ते हैं। विभिन्न रंगों से वृक्ष सुशोभित होता है।


 


(5) धेनु: प्रातर्यच्छति दुग्धम्।


शुद्धं स्वच्छं मधुरं स्निग्धम् ॥


अन्वयः - प्रातः धेनुः शुद्धं स्वच्छं मधुरं दुग्धं यच्छति।


सरलार्थ - सवेरे गाय शुद्ध, स्वच्छ, मीठा और चिकना दूध देती है।


 


(6) गहने विपिने व्याघ्रो गर्जति।


उच्चैस्तत्र च सिंह: नर्दति||


अन्वयः- गहने विपिने व्याघ्रः गर्जति । तत्र सिंह: उच्चै नर्दति।


सरलार्थ. घने जंगल में बाघ गरजता है । वहाँ सिहं जोर से दहाड़ता है।


 


(7) हरिणोsयं खादति नवघासम्।


सर्वत्र च पश्यति सविलासम् ||


अन्वयः-अयं हरिणः नवघासम् खादति। सर्वत्र च सविलासं पश्यति।


सरलार्थ - यह हिरण नई घास खाता है और चारों ओर विलासपूर्वक देखता है।


 


(8) उष्ट्र: तुङ्ग: मन्दं गच्छति।


पृष्ठे प्रचुरं भारं निवहति ||


अन्वयः- तुङ्ग: उष्ट्र: मन्दं गच्छति । (सः) पृष्ठे प्रचुर भारं निवहति।


सरलार्थ – ऊंचा ऊट धीरे-धीरे चलता है । वह पीठ पर बड़ी मात्रा में वजन ढोता है।


 


(9) घोटकराज: क्षिप्रं धावति।


धावनसमये किमपि न खादति||


अन्वयः - घोटकराज; क्षिप्रं धावति । (सः) धावनसमये किमपि न खादति।


सरलार्थ - घोड़ा शीघ्र दौड़ता है । (वह) दौड़ते समय कुछ भी नहीं खाता है।


 


(10) पश्यत भल्लुकमिम करालम्।


नृत्यति थथथै कुरु करतालम् ||


अन्वयः - इमं करालं भल्लुकं पश्यत । थथथै नृत्यति । करतांल कुरु ।


सरलार्थ - इस भयानक भालू को देखो । (यह) थथथै नाचता है । तालियाँ बजाओ।

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