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7.4.2 कक्षा- सप्तमी, विषय:- संस्कृतम् चतुर्थः पाठः ( हास्यबालकविसम्मेलनम्) Class- 7th, Subject - Sanskrit, Lesson-4 (HaasyaBaalKaviSammelanam)

              7.4.2 कक्षा- सप्तमी,  विषय:- संस्कृतम्

                    चतुर्थः पाठः ( हास्यबालकविसम्मेलनम्) 

     Class- 7th,  Subject - Sanskrit,  Lesson-4

               (HaasyaBaalKaviSammelanam) 


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नमो नमः। 

सप्तमीकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-2 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम्। 

अद्य वयं चतुर्थ-पाठस्य अभ्यासकार्यं कुर्म: ।  

पाठस्य नाम अस्ति -   

                          हास्यबालकविसम्मेलनम् । 

अहं डॉ. विपिन:। 


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                   चतुर्थः पाठः - हास्यबालकविसम्मेलनम्  

                     अभ्यासः (Exercise) 


प्रश्नः 1- उच्चारणं कुरुत-

उपरि- ऊपर            अधः- नीचे       उच्चैः- जोर

नीचैः- धीरे से          बहिः- बाहर       अलम्- मत/ काफी

कदापि- कभी भी     अन्तः- अंदर      पुनः- फिर से/ दुबारा 

कुत्र- कहाँ              कदा- कब         एकदा- एक बार 


2- मञ्जूषातः अव्ययपदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत-

अलम्  अन्तः   बहिः    अधः      उपरि


(क) वृक्षस्य उपरि खगाः वसन्ति।

(ख) अलम् विवादेन।

(ग) वर्षाकाले गृहात् बहिः मा गच्छ।

(घ) मञ्चस्य अधः श्रोतारः उपविष्टाः सन्ति।

(ङ) छात्रः विद्यालयस्य अन्तः प्रविशन्ति।


3- अशुद्धं पदं चिनुत-

(क) गमन्ति, यच्छन्ति, पृच्छन्ति, धावन्ति। 

 गमन्ति        (गच्छन्ति) 

 

(ख) रामेण, गृहेण, सर्पेण, गजेण।

 गजेण         (गजेन) 

 

(ग) लतया, मातया, रमया, निशया। 

मातया        (मात्रा) 


(घ) लते, रमे, माते, प्रिये। 

माते      (मातरौ)        


(घ) लिखति, गर्जति, फलति, सेवति।

 सेवति        (सेवयति)


4- मञ्जूषातः समानार्थकपदानि चित्वा लिखत-


प्रसन्नतायाः,  चिकित्सकम्,  लब्ध्वा,  शरीरस्य,   दक्षाः


प्राप्य      -    लब्ध्वा            (प्राप्त कर)

कुशलाः   -    दक्षाः              (कुशल) 

हर्षस्य     -   प्रसन्नतायाः       (प्रसन्नता का) 

देहस्य      -   शरीरस्य          (शरीर का) 

वैद्यम्       -   चिकित्सकम्   (चिकित्सक/ डॉक्टर)


5- अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-


(क) मञ्चे कति बालकवयः उपविष्टाः सन्ति?

उत्तरम् - चत्वारः


(ख) के कोलाहलं कुर्वन्ति?

उत्तरम् - श्रोतारः।


(ग) गजाधरः कम् उद्दिश्य काव्यं प्रस्तौति?

उत्तरम् - आधुनिकं वैद्यम् ।


(घ) तुन्दिलः कस्य उपरि हस्तम् आवर्त्तयति?

उत्तरम् -  तुन्दस्य । 


(घ) लोके पुनः पुनः कानि भवन्ति?

उत्तरम् -  शरीराणि।  


(च) किं कृत्वा घृतं पिबेत्? 

उत्तरम् - श्रमं कृत्वा घृतं पिबेत्।


6- मञ्जूषातः पदानि चित्वा कथायाः पूर्तिं कुरुत-


नासिकायामेव     वारं-वारम्      खड्गेन 

दूरम्          मित्रता      मक्षिका     व्यजनेन 

उपाविशत्     छिन्ना     सुप्तः        प्रियः 


पुरा एकस्य नृपस्य एकः प्रियः वानरः आसीत्। एकदा नृपः सुप्तः आसीत्। वानरः व्यजनेन तम् अवीजयत्। तदैव एका मक्षिका नृपस्य नासिकायाम् उपाविशत् । यद्यपि वानरः वारं-वारम् व्यजनेन तां निवारयति स्म तथापि सा पुनः पुनः नृपस्य नासिकायामेव उपविशति स्म। अन्ते सः मक्षिकां हन्तुं खड्गेन प्रहारम् अकरोत्। मक्षिका तु उडडीय दूरम् गता, किन्तु खड्गप्रहारेण नृपस्य नासिका छिन्ना अभवत्। 

अत एवोच्यते- ‘‘मूर्खजनैः सह मित्रता नोचिता।’’


7- विलोमपदानि योजयत-

अधः (नीचे)             उपरि (ऊपर) 

अन्तः (अंदर)            बहिः   (बाहर) 

दुर्बुद्धे!  (दुष्ट बुद्धि)     सुबुद्धे! (सद् बुद्धि) 

उच्चैः (ज़ोर से)         नीचैः (धीरे से) 

दुर्लभम्  (दुर्लभ)     सुलभम् (सुलभ- सरलता से प्राप्त होने वाला) 








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