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Showing posts from 2018

Sanskrit Song - संपूर्ण विश्व रत्नम् (Saare jahaan se accha in Sanskrit)

              संपूर्ण विश्व रत्नम् (saare jahaan se accha in sanskrit) संपूर्ण विश्व रत्नम्, खलु भारतम् स्वकीयम्.. स्वकीयम् संपूर्ण विश्व रत्नम्। पुष्पं  वयं तु सर्वे, खलु देश वटिकेयं स्वकीयम्।   1) सर्वोच्च पर्वतो यो,    गगनस्य भाल चुम्बी, -2   स: सैनिक: सुवीरः -२    प्रहरी च स: स्वकीयम्।। स्वकीयम्... 2) क्रोड़े सहस्रधारा, प्रवहन्ति यस्य नद्यः-२ उद्यानमभिपोष्यम्, भुविगौरवं स्वकीयम्।। स्वकीयम्... 3)धर्मस्य नास्ति शिक्षा, कटुतां मिथो विधेयः, (एको वयम् )-३ तु सर्वे, खलु भारतम् स्वकीयम्।। स्वकीयम्... संपूर्ण विश्व रत्नम्, खलु भारतम् स्वकीयम्.. स्वकीयम् संपूर्ण विश्व रत्नम्। पुष्पं  वयं तु सर्वे, खलु देश वटिकेयं स्वकीयम्। --------01 https://drive.google.com/file/d/1A_wXqh3klUTpoDNBB9Dn6KfYDdMDXgEe/view?usp=drivesdk 02 आर्मी धुन के साथ- https://drive.google.com/file/d/1zO5IHHWF8Ot2SfJhIPEN6-Ki7eLA-PNq/view?usp=drivesdk

Happy Friendship Day (Shalok on Friendship)

पापान्निवारयति योजयते हिताय, गुह्यं निगूहति गुणान् प्रकटी करोति। आपद्गतं च न जहाति ददाति काले,  सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः।।                          (भर्तृ.नीति.63)      अच्छे मित्र के लक्षण नीतिकार इस प्रकार कहते हैं - जो पापयुक्त आचरण करने से रोकता है, कल्याण कार्यो में लगाता है, गुप्त बातों को छिपाता है, अप्रकट गुणों को भी प्रकट करता है, विपत्ति के समय नहीं छोड़ता है, विपत्ति में यथाशक्तिः धन आदि देकर सहायता करता है वही श्रेष्ठ मित्र हैं। The characteristic of a good friend are described by saints in his way - he dissuades (Friend ) from sinful acts, induces (him) in good acts, conceals the secrets, discloses the hidden merits, does not leaves in distress, helps in the time of need.

संस्कृत-वाक्य-रचना (Sanskrit Vakya Rachna)

संस्कृत-वाक्य-रचना (Sanskrit Vakya Rachna)  This Table can be useful to teach Students, How to make/Translate Sentences in Sanskrit..  (click to Zoom)                       1.   प्रथम पुरुष   1.1 पुल्लिंग-   बालक जा रहा है।   (वर्तमान-काल) बालकः गच्छति।  बालक पढ़ता है। बालक: पठति।  दो बालक पढ़ते हैं। (द्विवचन)  बालकौ  पठत:।  सभी बालक पढ़ते हैं। (बहुवचन)  बालका: पठन्ति।  बालक पढ़ेगा। (भविष्य-काल) बालक: पठिष्यति।  ("लट् लकार" में " ष्य " जोड़ने पर "लृट् लकार" का रूप बनता है यथा- पठति+ ष्य=  पठिष्यति) बालक गया। (भूत-काल) बालकः गच्छति स्म।   स्म " का प्रयोग किया  बालकः अगच्छत्।   लंङ् लकार (भूतकाल के लिए "लंङ् लकार" के स्थान पर  " लट्  लकार" में " स्म " का प्रयोग किया जा सकता है।)  बालक ने पढ़ा। बालकः पठति स्म।  (भूतकाल के लिए "लंङ् लकार" के स्थान पर  " लट् लकार" में " स्म " का प्रयोग किया जा सकता है।)  सभी बालकों ने पढ़ा। बालकाः पठन्ति स्म।    वह पढ़ता है। सः पठति। कौन पढ़ता है। कः पठति।  आप पढ़ते

Sanskrit Song- हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी/ Har Ghadi Badal Rahi Hai

Sanskrit song- प्रतिक्षणं परिवर्तयेत् रूपं हि जीवनम्/ हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी/ Har ghadi badal rahi h (कल हो न हो) प्रतिक्षणं परिवर्तयेत् रूपं हि जीवनम् । छायावद् कदा कदाsतपं हि जीवनम् । प्रतिपलमिह जीवेदशेषम्, दृष्यं यदत्र श्व: स्यात् न वा ॥ १) कामयेत् हि यस्त्वां पूर्णमनसा, प्राप्यते स: महत्प्रयासै: । ईदृशस्तु कोsपि कुत्राsपि, सोsयमेव सर्वेषु रम्य: । हस्तौ तदीयौ, करयो: गृहाण, सोsयं दयालु: श्व: स्यात् न वा ॥१॥ २) पक्ष्मणां गृहीत्वा छायां, सन्निधौ य: कोsपि आयायात् । लक्षवारमवेक्षितं वातुलहृदयम्, हृदयं स्पन्देतैव । मन्यस्व एवम् अस्मिन् क्षणे या, सेsयं कथा श्व: स्यात् न वा ॥२॥ गेयतानुकूल- संस्कृतानुवादक: राजेन्द्र भावे गायक: - श्रीरंग भावे ----------- हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी छाँव है कभी, कभी है धूप ज़िंदगी हर पल यहाँ जी भर जियो जो है समाँ कल हो न हो चाहे जो तुम्हें पूरे दिल से मिलता है वो मुश्किल से ऐसा जो कोई कहीं है बस वो ही सबसे हसीं है उस हाथ को तुम थाम लो वो मेहरबाँ कल हो न हो हर पल यहाँ... पलकों के ले के साये पास कोई जो आये लाख सम्भालो

Sanskrit Song संस्कृत-गीतम् -विश्वभाषा संस्कृतम्

संस्कृत-गीतम् (Saras Bhasha Sanskritam) विश्वभाषा संस्कृतम् १. सरलभाषा संस्कृतं सरसभाषा संस्कृतम् । सरस-सरल-मनोज्ञ-मङ्गल-देवभाषा संस्कृतम् ॥ २. मधुरभाषा संस्कृतं मृदुलभाषा संस्कृतम् । मृदुल-मधुर-मनोह-रामृत-तुल्यभाषा संस्कृतम् ॥(अमृत)तुल्यभाषा संस्कृतम् ॥ ३. देवभाषा संस्कृतं वेदभाषा संस्कृतम् । भेद-भाव-विनाशकं खलु, दिव्यभाषा संस्कृतम् ॥ X ४. अमृतभाषा संस्कृतम्, अतुलभाषा संस्कृतम् । सुकृति-जन-हृदि परिलसितशुभवरदभाषा संस्कृतम् ॥ ५. भुवनभाषा संस्कृतं, भवनभाषा संस्कृतम् । भरत-भुवि परि-लसित, काव्य-मनोज्ञ-भाषा संस्कृतम् ॥ ६. शस्त्रभाषा संस्कृतं,  शास्त्रभाषा संस्कृतम् । शस्त्र-शास्त्र-भृदार्ष-भारत-,राष्ट्रभाषा संस्कृतम् ॥ ७. धर्मभाषा संस्कृतं, कर्मभाषा संस्कृतम् । धर्म-कर्म-प्रचोदकं खलु, विश्वभाषा संस्कृतम् ॥ ------गीत श्रवण हेतु यहाँ क्लिक कीजिए- https://drive.google.com/file/d/1JjBjmjGxyoSviWZCt0rJoParlBCl4IiL/view?usp=drivesdk ---------- Word to Word Meaning- viśvabhāṣā saṃskṛtam 1. saralabhāṣā - simple language saṁskṛtam - Samskrit sarasabhāṣā - taste

Teaching of Sanskrit in Class 9th and 10th KVS Letter (Any 2 Languages from Sanskrit/ Hindi/ English)

Teaching of sanskrit in 11th and 12th class in kvs Reg.

महत्त्वपूर्ण-वेबस्थालम् (Imp. Websites)

            महत्त्वपूर्ण-वेबस्थालम् (Imp. Websites)       Sanskrit songs- http://amaravaani.org     To Learn sanskrit https://www.samskrittutorial.in/login https://www.learnsamskrit.online https://samskritpromotion.in ----- Learnsktonline Sanskritom.com   --------- http://ipal0.tk/sans / Best Sanskrit -English Online Dictionary उत्तम:  संस्कृत-आंग्ल शब्दकोष: ------- संस्कृत-शब्दकोष:    https://www.sanskritdictionary.com/

योग-शास्त्रस्य वर्णनम् (हिंदी)

     योग-शास्त्र का वर्णन योगशास्त्र का वर्णन हमें वेदों, उपनिषदों तथा गीता में प्राप्त होता है, परन्तु *पतंजलि* आदि मनिषियों ने योग के बिखरे हुए मोतियों (ज्ञान) को व्यवस्थित रूप से संग्रहित कर लिपिबद्ध किया है। योग छह आस्तिक दर्शनों में से एक है- ये छह दर्शन हैं:-- 1.न्याय 2.वैशेषिक 3.मीमांसा 4.सांख्य 5.वेदांत और 6.योग।* योग के विषय विस्तृत ज्ञान- योग के आठ मुख्य अंग हैं:-- 1) *यम, 2) ‎नियम, 3) ‎आसन, 4) ‎ प्राणायाम, 5) ‎प्रत्याहार, 6) ‎धारणा, 7) ‎ध्यान और 8) ‎समाधि।* इसके अलावा क्रिया, बंध, मुद्रा और अंग-संचालन इत्यादि कुछ अन्य अंग भी गिने जाते हैं, किंतु ये सभी उन आठों के ही उपांग ( उप-अंग ) हैं। अब हम योग के प्रकार, योगाभ्यास की बाधाएं, योग का इतिहास, योग के प्रमुख ग्रंथ की थोड़ी चर्चा करते हैं। *योग के प्रकार:--* 1.राजयोग, 2.हठयोग, 3.लययोग, 4. ज्ञानयोग, 5.कर्मयोग और 6. भक्तियोग। इसके अलावा बहिरंग योग, नाद योग, मंत्र योग, तंत्र योग, कुंडलिनी योग, साधना योग, क्रिया योग, सहज योग, मुद्रायोग, और स्वरयोग आदि योग के अनेक आयामों की चर्चा की जा

भारतीय संस्कारों से संबंधित श्लोक

।। भारतीय संस्कार ।। निम्न श्लोकों को नित्य दैनन्दिनी में शामिल करना चाहिए- *प्रात: कर-दर्शनम्* कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥ *पृथ्वी क्षमा प्रार्थना* समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडिते। विष्णु पत्नि नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमस्व मे॥ *त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण* ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥ *स्नान मन्त्र* गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरु॥ *सूर्यनमस्कार* ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च।। आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने। दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम् सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥ ॐ मित्राय नम: ॐ रवये नम: ॐ सूर्याय नम: ॐ भानवे नम: ॐ खगाय नम: ॐ पूष्णे नम: ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ॐ मरीचये नम: ॐ आदित्याय नम: ॐ सवित्रे नम: ॐ अर्काय नम: ॐ भास्कराय नम: ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम: आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु

About Sanskrit

After the Constitution, the next and perhaps most important document to examine would be the Report of the Sanskrit Commission set up by the Government of India in 1956 under the Chairmanship of Dr. Suniti Kumar Chatterjee. An examination of the Report of this Commission shows that the status of Sanskrit in contemporary India has a lot to do with both the politics and policies of the State. It was this Commission’s report, along with Report of the Official Language Commission of the Government of India that led to Sanskrit being one of the languages taught in Indian schools all over the country. According to the three-language formula, which still works at least up to the 10th Standard in Indian secondary schools, each student has to learn three languages, the mother tongue, Hindi or another Indian language, and English. To this day, in many school, Sanskrit is the third language, taken in addition to English and Hindi. The Report of the Commission is probably the most extensive and

एकता मंत्र ( Ekta Mantra ) यं वैदिका मन्त्रदृशः पुराणाः......

   एकता मंत्र ( Ekta Mantra ) - यं वैदिका मन्त्रदृशः पुराणाः इन्द्रं यमं मातरिश्वा नमाहुः। वेदान्तिनो निर्वचनीयमेकम् यं ब्रह्म शब्देन विनिर्दिशन्ति॥ शैवायमीशं शिव इत्यवोचन् यं वैष्णवा विष्णुरिति स्तुवन्ति। बुद्धस्तथार्हन् इति बौद्ध जैनाः सत् श्री अकालेति च सिख्ख सन्तः॥ शास्तेति केचित् कतिचित् कुमारः  स्वामीति मातेति पितेति भक्त्या। यं प्रार्थन्यन्ते जगदीशितारम्  स एक एव प्रभुरद्वितीयः॥ प्राचीन काल के मन्त्रद्रष्टा ऋषियों ने जिसे इंद्र , यम , मातरिश्वान (वैदिका देवता) कहकर पुकारा और जिस एक अनिर्वचनीय को वेदान्ती ब्रह्म शब्द से निर्देश करते हैं। शैव जिसकी शिव और वैष्णव जिसकी विष्णु कहकर स्तुति करते हैं। बौद्ध और जैन जिसे बुद्ध और अर्हन्त कहते हैं तथा सिक्ख सन्त जिसे सत् श्री अकाल कहकर पुकारते हैं। जिस जगत के स्वामी को कोई शास्ता तो कोई प्रकृति , कोई कुमारस्वामी कहते हैं तो कोई जिसको स्वामी , माता-पिता कहकर भक्तिपूर्वक प्रार्थना करते हैं , वह प्रभु एक ही है अर्थात् अद्वितीय है । ------ Meaning: Whom (Yam) the Vaidika Mantradrashah (those who have understood

Photos वदतु संस्कृतम्। जयतु भारतम्।

धार्मिकाः श्लोकाः मंत्राः च-----

धार्मिकाः श्लोकाः मंत्राः च----- ☀ प्रात: कर-दर्शनम् - कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम॥ पृथ्वी क्षमा प्रार्थना - समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते। विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव॥ स्नान मन्त्र- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥ सूर्यनमस्कार- ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने। दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम् सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥ ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:,   ॐभानवे नम:,ॐ खगाय नम:,ॐ पूष्णे नम:,   ॐ हिरण्यगर्भाय नम:,ॐ मरीचये नम:, ॐ आदित्याय नम: ॐ सवित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:, ॐ भास्कराय नम:,   ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम: आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥ ♨ दीप दर्शन- शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते॥ दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु मे पापं सं