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Showing posts from March, 2023

केंद्रीय विद्यालय संगठन का ध्येय वाक्य (MOTO of KVS)

  केंद्रीय विद्यालय संगठन का ध्येय वाक्य MOTO of Kendriya Vidyalaya Sangathan  केंद्रीय विद्यालय संगठन का ध्येय वाक्य है -  "तत् त्वं पूषन् अपावृणु" जिसका शाब्दिक अर्थ है  हे पूषन्! आप उसे हटा दें।    क्या हटा दें, कहां से हटा दें  इसका तात्पर्य समझने हेतु हमें पूरा मंत्र जानना होगा जो ईशोपनिषद् से लिया गया है।                हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्‌।              तत् त्वं पूषन् अपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ॥                                             ईशोपनिषद् मंत्र-15  अन्वय- हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्य मुखम् अपिहितम् अस्ति। पूषन् तत् सत्यधर्माय दृष्टये त्वम् अपावृणु ॥       सरलार्थ-  (Hindi Meaning) स्वर्णमय पात्र (सुनहरे ढक्कन) से, सत्य का मुख ढका हुआ है। हे पूषन् (सूर्यदेव)! आप उस अज्ञानता को दूर कर सत्य धर्म (ज्ञान) की पहचान कराएं।   मंत्र के अर्थ के अनुसार "तत् त्वं पूषन् अपावृणु" का भावार्थ है -  हे पूषन्! आप उस अज्ञानता को दूर करें।    ---------------------      सरलार्थ-   (English Meaning)  The face of Truth is covered with a brilliant golden

गुरु पूर्णिमा (GURU POORNIMA)

                          गुरु पूर्णिमा (GURU POORNIMA)                                  गुरु/आचार्य/शिक्षक/अध्यापक संबंधित श्लोक/दोहे-                ऊँ श्रीगुरुचरणकमलेभ्यो नमः ||         अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।        तत्पदं दर्शितं येन  तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।   English pronunciation-      akhaNDamaNDalaakaara.n vyaapta.n yena charaacharam tatpada.n darshita.n yena tasmai shriigurave namaH Meaning-      Salutation to the noble Guru,, who has made it possible to realise the state which pervades the entire cosmos, everything animate and inanimate.                             ....... ॐ .......        अज्ञानतिमिरान्धस्य  ज्ञानाञ्जनशलाकया ।        चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥ adnyaanatimiraandhasya dnyaanaaJNjanashalaakayaa chakshurunmiilita.n yena tasmai shriigurave namaH अर्थ - अज्ञान रूपी अंधकार से अंधी हुई आंखों को अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से खोलने वाले गुरु को हम प्रणाम करते हैं।  Salutation to the noble Guru, who has opened the eyes blinded by darkness of i

विद्यालय-प्रार्थना (संस्कृत) VIDYALAYA PRAYER SONG (Sanskrit)

                विद्यालय-प्रार्थना (संस्कृत)          VIDYALAYA PRAYER SONG (Sanskrit)  (1)           ॐ असतो मा सद्गमय ।               तमसो मा ज्योतिर्गमय ।               मृत्योर्मा अमृतं गमय ।।          सरलार्थ-        हे प्रभो प्रभो!  हमें असत्य से सत्य की ओर ले जाएं।  अज्ञान रूपी अंधकार से, ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाएं।  मृत्यु के भय से, अमरत्व के ज्ञान की ओर ले जाएं। दयां कृत्वा हि विद्यायाः प्रभो! दानं सदा देयं, सदास्माकं हि चित्तेषु दयस्व शुद्धताऽऽनेया।   प्रभो! आयातु नः ध्याने, वसतु नेत्रेषु अस्माकं, तमोयुक्तेषु हृदयेषु, परा आभा समादेया। प्रवाह्य प्रेमगंगां च, स्नेहसिन्धुं हृदयेषु‌। मिथः सम्मिल्य वासस्य प्रभो! शिक्षा सदा देया।  सदा नः कर्म स्यात् सेवा, सदा नः धर्म स्यात् सेवा, सदा शीलं हि स्यात् सेवा, विधेयः सेवको‌‍‌‍‍‌‌ऽहं ते।  भवेन्मे जीवनं भगवन् तथा मरणं हि देशाय, तदर्थं जीवन-त्याग: प्रभो! शिक्षा इयं देया।।  (2)       ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु ।              सह वीर्यं करवावहै ।               तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ सरलार्थ-     

मेरा शिक्षण-दर्शन (My Teaching Philosophy)

  मेरा शिक्षण-दर्शन  (My Teaching Philosophy)                    प्रस्तावना- भाषा हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। भाषा शिक्षक एक दार्शनिक है जो अपने दर्शन के अनुसार बालक के जीवन के विभिन्न पक्षों को विकसित करके वांछित लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है। सीखना एक अनुभव है जो सूचना या जानकारी के संप्रेषण से कहीं अधिक है । यदि उपयुक्त अवसर एवं स्वतंत्रता दी जाए तो विद्यार्थी स्वयं प्रयास कर नए ज्ञान का सृजन करते हैं और यह ज्ञान स्थायी प्रकृति का होता है। अतः आवश्यक है कि हम अपने विद्यार्थियों को समझें और उन्हें सीखने की प्रक्रिया में भागीदार बनाएं। यह भी जरूरी है कि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया बाल केंद्रित हो जो जिज्ञासा , खोज , अनुभव और संवाद के आधार पर संचालित , लचीली और रुचिपूर्ण हो।         विषय वस्तु- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के तीन अनिवार्य तत्व हैं - शिक्षक , शिक्षार्थी और पर्यावरण। मेरा विश्वास है कि विद्यार्थी देखकर और उसका अनुकरण कर सीखता है । अतः मैं अपने विद्यार्थियों के समक्ष प्रथम उदाहरण अपना ही रखता हू ँ । जिस दिन मैं कक्षा में बहुत ऊर्जावान होता हूँ , उस दिन वे भ

संगणक-विषयक-शब्दावली (Computer Related Sanskrit-Dictionary)

      संगणक-विषयक-शब्दावली (Computer Related Sanskrit-Dictionary) 1)ID.— परिचयपत्रम् (2)Data – टंकितांश: (3) Edit – सम्पादनम् (4)Keyboard – कुंचिपटलम् (5) Timeline – समयरेखा  (6) Login – प्रवेश: (7)Share - वितरणम्, प्रसारणम् (8) Laptop – अंकसंगणकम् (9) Search - अन्वेषणम् (10)Default - पूर्वनिविष्ठम् (11)Input – निवेश: (12)Output - फलितम्  (13)Block – अवरोध: (14)Display – प्रदर्शनम् / विन्यास: (15)Wallpaper - भीत्तिचित्रम् (16)Theme – विषयवस्तु: (17)User – उपभोक्ता (18) Smart phone - कुशलदूरवाणी (19)Tag - चिह्नम् (20)Setup – प्रतिष्ठितम् (21)Install - प्रस्थापना / प्रतिस्थापनम् (22)Privacy - गोपनीयता  (23)Manual – हस्तक्रिया  (24)Accessibility - अभिगम्यता (25)Error – त्रुटि:  (26)Pass word – गूढशब्द: (27) Code no. - कूटसंख्या (28) Pen drive - स्मृतिशलाका

संस्कृत भाषायाः महत्त्वम् (importance of Sanskrit in Sanskrit)

    संस्कृत भाषायाः महत्त्वम्   संस्कृत भाषा का महत्त्व (संस्कृत)  (importance of Sanskrit in Sanskrit) संस्कृतम् भारतस्य विश्वस्य च पुरातनतमा भाषा। अन्यास भाषाणां तथा पुरातनं साहित्यमद्य नोपलभ्यते यथा पुरातनं संस्कृतसाहित्यम् । विश्वस्य पुरातनतमो ग्रन्थः ऋग्वेदः संस्कृतभाषयैव निबद्धः । इयमतीव वैज्ञानिकी भाषा, अस्या पाणिनिमुनिप्रणीतं व्याकरणमतीव वैज्ञानिकं यस्य साहाय्येन अद्यापि वयं तान् पुरातनग्रन्थान् अवबोधुं शक्नुमः । संस्कृतमेव हि भारतम् । यदि वयं प्राचीन भारतमर्वाचीनं वापि भारतं ज्ञातुमिच्छामः तह नास्ति संस्कृतसमोऽन्य उपायः । भारतीयजनस्य अद्यापि यत् चिन्तनं तस्य मूलं प्राचीनसंस्कृतवाङ्मये दृश्यते । यदि च तत् चिन्तनं वयं नूतनविज्ञानाभिमुख कर्तुमिच्छामस्तह तस्य मूलं पृष्ठभूमि च अविज्ञाय विच्छिन्नरूपेण कतु न शक्नुमः। यदि वयमिच्छामो यत् भारतीयजनः परिवर्तनम् आत्मसात् कुर्यात् तदा तेन परिवर्तनेन आत्मरूपेण संस्कृतिमयेन संस्कृतमयेन च भाव्यम् ।। संस्कृतस्य शब्दाः सर्वासु भारतीयभाषासु कासुचित् वैदेशिकभाषासु च प्रयुज्यन्ते । अतः यदि वयं भारतीयजनानामेकीभावं, तेषां भाषागतम् अभेदं सौमनस्यं च इच

संस्कृत शिक्षक के साक्षात्कार से संबंधित आदर्श प्रश्न (Sample Questions for INTERVIEW for the Post of TGT (SANSKRIT)

  संस्कृत  शिक्षक के साक्षात्कार से संबंधित आदर्श प्रश्न  Sample Questions for INTERVIEW for the Post of  TGT (SANSKRIT)   in KVS/ NVS/ Delhi Govt./ Private Schools  ----------------------------------  1* संस्कृत-भाषायां स्वपरिचयं वदत। [ स्वपरिचायकं पञ्च/षड्वाक्यानि वदतु]  2* एकं श्लोकं सस्वरं श्रावयतु, (श्लोकस्य पश्चात्)         श्लोकस्य अर्थं अपि वदत।         तस्मिन् श्लोके विद्यमानानां प्रकृतिप्रत्ययविभागानां शब्दधातुरूपाणां समासादीनां च पृथक् पृथक् यथेच्छं प्रश्नान् प्रष्टुं शक्यते।          3* शब्द-रूपाणि  (बालक) शब्दस्य (षष्टी) विभक्तौ किं रूपं भवति। 4* धातु-रूपाणि   (पठ) धातौ (लट्) लकारस्य (मध्यम) पुरुषे किं रूपं भवति। 5* अनुवादं कुरुत -  कल बरसात होगी। आज शनिवार है। इत्यादयः  6 सन्धि:/ विच्छेद:- विद्यालय:, सूर्योदय:, इत्यादयः, जगदीश:....  व्याकरण-संबंधित-प्रश्न -  1. उपसर्गः कः।  2. अव्ययं किम्।  3. शतृशानच् प्रत्ययोः कुत्र कुत्र प्रयोगः।  4. सन्धिः कः। 5. रामः ग्रन्थं पठति। रामेण ग्रन्थः पठ्यते । अनयोः वाक्ययोः कः भेदः।  6. कर्तृपदं, कर्मपदं, क्रियापदं,

नूतन-शब्द: (Word of the day In Sanskrit)

 नूतन-शब्द: (Word of the day In Sanskrit) नमोनमः अद्यतनीय: नूतन: शब्द: अस्ति- अद्य जिसका अर्थ है- आज वाक्य प्रयोग:- अद्य बुधवासर: / शनिवासर: अस्ति। आज शनिवार है  पुनः कथ्यमि-   अद्य अर्थात् आज।  धन्यवाद:।   --------------- नमोनमः अद्यतनीय: नूतन: शब्द: अस्ति-  श्वः जिसका अर्थ है- आने वाला कल वाक्य प्रयोग:- श्वः शनिवासर: अस्ति। कल शनिवार होगा  पुनः कथ्यमि-   श्वः अर्थात् आने वाला कल।  धन्यवाद:।  --------------- नमोनमः अद्यतनीय: नूतन: शब्द: अस्ति-  अहर्निशम् जिसका अर्थ है- दिन रात वाक्य प्रयोग:- विद्यार्थी परीक्षायां उत्तम अंकान् प्राप्तुम् अहर्निशं परिश्रमं करोति। अर्थात् विद्यार्थी परीक्षा में उत्तम अंक प्राप्त करने के लिए दिन-रात परिश्रम करता है  पुनः कथ्यमि-   अहर्निशं अर्थात् दिन रात।  धन्यवाद:।  --------------- नमोनमः अद्यतनीय: नूतन: शब्द: अस्ति-  परितः जिसका अर्थ है- चारों और वाक्य प्रयोग:- विद्यालयं परित: वृक्षा: सन्ति अर्थात् विद्यालय के चारों और पेड़ है।  पुनः कथ्यमि-   परित: अर्थात् चारों और।  धन्यवाद:।  --------------- नमोनमः अद्यतनीय: नूतन: शब्दा: सन्ति- 1) तण्डुलम् अर्थात्