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Showing posts from 2024

6.3.2 कक्षा - VI L - 3, संस्कृत तृतीया: पाठ: अहं च त्वं च / Aham Ch Tvam Ch

  6.3.2 कक्षा - VI L - 3, संस्कृत    तृतीया: पाठ:  अहं च त्वं च / Aham Ch Tvam Ch वयम् अभ्यासं कुर्म:   2. उदाहरण अनुगुमं अधोलिखित वाक्येषु पत्तिकात उचितै पदै रिक्तस्थानि पूर्यत । क) आवां  ख) यूयं ग) अहं  घ)  युवां ङ) व्यम् च) त्वं 3. चित्रं दृष्ट्वा  उदाहरणस्य अनुगुणं वाक्यानि लिखन्तु । यथा- अहं शिक्षक: अस्मि। (एकवचनम्)  आवां शिक्षकौ स्वः। (द्विवचनम्)  वयं शिक्षका: स्मः।    (बहुवचनम्)   क  अहं तंत्रज्ञ: अस्मि । आवां तंत्रज्ञौ स्वः।  वयं  तंत्रज्ञाः   स्मः। ख  अहं नर्तक: अस्मि । आवां नर्तकौ  स्वः। वयं  नर्तकाः  स्मः। ग   अहं चालक: अस्मि । आवां चालकौ   स्व:।  वयं  चालकाः   स्मः।    यथा अहम् आरक्षिका अस्मि । आवाम् आरक्षिके स्वः । वयम् आरक्षिका: स्मः । (घ) अहं छात्रा अस्मि। आवाम्  छात्रे  स्वः । वयम्  छात्रा : स्मः । ङ   अहं गायिका अस्मि। आवाम्  गायिका  स्वः । वयम्  गायिका : स्मः । च  अहम्  अनुवैद्या  अस्मि।  आवाम्  अनुवैद्ये  स्वः । वयम्  अनुवैद्या : स्मः ।   --------  यथा त्वं चिकित्सक: असि । युवां चिकित्सकौ स्थः । ययं चिकित्सका: स्थ। त्वं लेखक: असि । आवाम् अनुवैद्ये स्वः । वयम् अनुवैद

संस्कृत-साहित्यस्य (वांग्मय:) परिचय:/ इतिहास Sanskrit Literature Introduction/ History

संस्कृत-साहित्यस्य ( वाङ्मय ) परिचय:/ इतिहास   Sanskrit Literature Introduction/ History  1. रामायणम्  2. महाभारत/   गीता  (700 श्लोक)  3. कालीदास:  (7  रचनाएं) ----------   रामायणम् = राम + आयणम्   राम की जीवन-यात्रा मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः । यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम् ॥  अर्थात्: हे निषाद ! तुमको अनंत काल तक शांति न मिले, क्योंकि तुमने प्रेम, प्रणय-क्रिया में लीन (असावधान) क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक की हत्या कर दी। आदिकाव्य, आदिकवि , इतिहास ग्रंथ।  7 कांड, २४,००० श्लोक,                राजा दशरथ  1. कौशल्या  1. राम  2. कैकेयी  2. भरत  3. सुमित्रा - 3.  लक्ष्मण और 4. शत्रुघ्न।  ---  details  रामायण (संस्कृत : रामायणम् = राम + आयणम् ; शाब्दिक अर्थ : 'राम की जीवन-यात्रा'), वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य है जिसमें श्रीराम की गाथा है। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। संस्कृत साहित्य परम्परा में रामायण और महाभारत को इतिहास कहा गया है और दोनों सनातन संस्कृति के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय ग्रन्थ ह

6 Deepakam TLO

  लक्षित-अधिगम-बिन्दवः  (Targated Learning Outcomes- TLO) संस्कृतम्/ Sanskrit    कक्षा Class VI दीपकम्  6.1 वयं वर्णमालां पठामः  लक्षित-अधिगम-बिन्दवः (TLOs) -    1. तद्-एतद्-किम्-शब्दानां ज्ञानं प्रयोगः च पुंलिङ्गे प्रथमा-विभक्तौ।   3. चित्रं दृष्ट्वा "अकारान्त-पुल्लिंग" शब्दज्ञानम्।   4. कर्तृ-पदानां (संज्ञा-सर्वनाम) क्रिया-पदानां च ज्ञानम्।   5. संस्कृत-पदानां वर्ण-विच्छेदः, वर्णानां संयोजनम्। 6. नूतन-पदानां पठनम्, तेषां स्पष्टरूपेण उच्चारणम्। 2. एषः क: ? एषा का ? एतत् किम्?  3. अहं च त्वं च   4. अहं प्रातः उत्तिष्ठामि  5. शूराः वयं धीरा: वयम 6. सः एव महान् चित्रकारः  7.अतिथिदेवो भव  8. बुद्धि: सर्वार्थसाधिका  9. यो जानाति सः पण्डितः 10. त्वम् आपणं गच्छ  11. पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि  12. आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः 13. सड्ख्यागणना ननु सरला 14. माधवस्य प्रियम् अङ्गम् 15. वृक्षाः सत्पुरुषा: इव

6.2.2 कक्षा VI संस्कृत, द्वितीयः पाठ: एषः कः? एषा का? एतत् किम् ?

6.2.2 कक्षा - VI L - 2,  संस्कृत    द्वितीय: पाठ:  एषः कः? एषा का? एतत् किम् ? वयम् अभ्यासं कुर्म:    1. उदाहरणं दृष्ट्वा रिक्तस्थानानि पूरयन्तु  यथा-  बालकः बालकौ बालकाः  (अः , औ, आः) एकवचनम् /  द्विवचनम् /  बहु वचनम् (क) चषकः  चषकौ चषकाः  (ख देवः   देवौ   देवाः   (ग) सैनिकः  सैनिकौ  सैनिकाः    (घ) रजकः  रजकौ रजकाः  (ङ) तन्त्रज्ञः तन्त्रज्ञौ  तन्त्रज्ञाः   2. उदाहरणानुसारं पट्टिकातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानेषु संयोजयन्तु।   यथा-  सः शुक:  ।   क)  सः .................      .................   ................. ख) सा .................      ................  ................. ग) तत् .................     ................  ................. [शुकः,  स्यूतः,   अजा,  फलम्,  पुष्पम्,   महिषी,    वृक्षः,   कुक्कुरः ,   पार्वती,  पुस्तकम्] उत्तर -  क) सः -  स्यूतः,  वृक्षः,  कुक्कुरः  ख) सा -   अजा, महिषी,  पार्वती  ग) तत् -   फलम् , पुष्पम्, पुस्तकम्  3. चित्राणि दृष्ट्वा संस्कृतपदानि लिखन्तु।  (क) पुस्तकम्  (ग) सैनिक:  (ख) बालकौ (घ) वातायनम्  (ङ) गायिका  (च) त्रिशूलम्  4.  उदाहरणानुसारम् पट्ट

6.1.2 वयं वर्णमालां पठामः

 6.1.2 N वयं वर्णमालां पठामः पृष्ठ 13 वर्ण-संयोग: यथा   दाशरथिः 1.   हिमालयः 2. कृष्णः  प्रश्न 1    1. गणेशः,  2. शुकः, 3.  रामः, 4.  हरिणः, 5. यज्ञः  6. नासिका,  7. मानचित्र,  8. ढक्का, 9. चमसः,  10. पादः  प्रश्न 2.  पङ्कजम् 1. शुकः 2. दन्ताः 3. त्रिशूलम् 4. ढक्का 5. चन्द्रः 6. वृक्षः 7.चञ्चुः 8. अष्ट 9. शङ्खः

Bridge course शब्दकोषः/ Sanskrit Dictionary

  शब्दकोषः /  Sanskrit Dictionary  12. सहायकानां नामनि  1.उद्यानपालकः -  माली  2.वैद्यः  -              चिकित्सक  3.अनुवैद्यः  -          परिचारक / नर्स 4.चालकः -             चालक   5.न्यायाधीश -          न्यायाधीश 6.पत्रवितरकः -         डाकिया  7.अध्यापकः -          अध्यापक 8.अध्यापिका -         अध्यापिका    9.कृषकः  -              किसान 10.आरक्षकः -           रक्षक/ पुलिस /सैनिक     13 गृहवस्तूनि / घर की वस्तुएं  चमसः -  चम्मच  जलकूपी - बोतल  सुधाखण्डः - चॉक  अग्निपेटिका - माचिस की डब्बी  घटी - घड़ी घटः - मटका  छत्रम् - छाता  पीठम् - मेज  तालः - ताला स्थाली - थाली                 वस्तुपरिचयः   दर्पणः -  शीशा  कङ्कतम्-   कंघी  सूचिका -  सूचक pointer  मापिका- पैमाना scale लेखनी- कलम पेन  स्यूतः-  थैला  पुस्तकम्-  पुस्तक  आसन्दः-  कुर्सी /आसन   चित्र बनाएं / चिपकाएं  19 सः एषः कः ‌‍‍? 20 सा एषा का ‌‍‍? 21 तत् एतत् किम्  ‌‍‍?                   पुलिंग /  स्त्रीलिंग/  नपुंसकलिंग दूर -    एषः (वह) / एषा / एतत्   समीप- सः (यह)/  सा /    तत्   प्रश्न-    कः (क्या)/ का/  किम्  

भवतु भारतम् - संस्कृत गीत Bhavtu Bhartam - Sanskrit Song

  भवतु भारतम् - संस्कृत गीत  Bhavtu Bhartam - Sanskrit Song    शक्तिसम्भृतम् युक्तिसम्भृतम् I  शक्ति-युक्तिसम्भृतम् भवतु भारतम् I  शस्त्रधारकं शास्त्रधारकम् ।  शस्त्र-शास्त्रधारकम् भवतु भारतम् ll  रीतिसंस्कृतं नीतिसंस्कृतम्।  रीति-नीतिसंस्कृतम् भवतु भारतम् ।। कर्मनैष्ठिकं धर्मनैष्ठिकम् । कर्म-धर्मनैष्ठिकं भवतु भारतम् I  भक्तिसाधकं मुक्तिसाधकम्।  भक्ति-मुक्तिसाधकं भवतु भारतम् ll  YouTube Video Link 

शिक्षक-प्रतिज्ञा / Teacher Pledge

  शिक्षक-प्रतिज्ञा  / Teacher Pledge  भारतम् अस्माकं देश:अस्ति। शिक्षकाः राष्ट्रस्य निर्मातार:। वयं स्वदायित्वानां निष्ठापूर्वकं पालनं करिष्यामः। छात्राणां सर्वांगीणविकासे सृजने च वयं पाथेयत्वेन भविष्यामः। वयं स्वराष्ट्रभाषाया: गौरवाय प्रचार-प्रसाराय च सदैव प्रयत्नशीला: भविष्यामः। वयं शिक्षकधर्मस्य दायित्वानां च तन-मन-धनैश्च पालनाय प्रतिज्ञां कुर्मः।  जयतु भारतम्। शिक्षक प्रतिज्ञा (हिंदी) भारत हमारा देश है।शिक्षक राष्ट्र के निर्माता हैं। हम अपने दायित्वों का निष्ठा पूर्वक पालन करेंगे। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास और सृजन में हम पाथेय बनेंगे।हम अपनी राष्ट्रभाषा के गौरव और प्रचार-प्रसार के लिए सदैव प्रयत्नशील रहेंगे। हम शिक्षक-धर्म और दायित्वों का तन-मन-धन से पालन करने की प्रतिज्ञा लेते हैं।            जय हिंद।

श्रीमद्भगवद् गीता

  श्रीमद्भगवद् गीता-ग्रंथात्  श्रेष्ठ-श्लोकाः/ श्रीमद्भगवद् गीता के श्रेष्ठ श्लोक/   Best selected Shaloks from  Shrimad Bhagvad Geeta     ----------------------------------------- ॐ श्रीपरमात्मने नमः  अ थ श्रीमद्भगवद् गीता श्रीभगवान् उवाच  1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।  मा कर्मफलहेतुर्भूर्- मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (२-४७) (द्वितीय अध्याय, श्लोक 47) श्रीभगवान् बोले- अर्थ:  तेरा  कर्म करनेमें ही अधिकार है, उसके फलोंमें कभी नहीं इसलिये तू कर्मोंके फलका हेतु मत हो - तथा तेरी कर्म न करनेमें भी आसक्ति न हो । अर्जुन उवाच  2. स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव। स्थितधी: किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम्।। २-५४ अर्जुन बोले-  हे केशव! समाधिमें स्थित परमात्माको प्राप्त हुए स्थिरबुद्ध पुरुषका क्या लक्षण है? वह स्थिरबुद्ध पुरुष कैसे बोलता है कैसे बैठता है और कैसे चलता है ?  श्रीभगवानुवाच  3. प्रजहाति यदा कामान् सर्वान्पार्थ मनोगतान्।  आत्मन्येवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते ।। २-५५ श्रीभगवान् बोले- हे अर्जुन! जिस कालमें यह पुरुष मनमें स्थित सम्पूर्ण कामनाओंको भलीभाँति त्याग देता

आर्यभटः / Aaryabhat

आर्यभट / Aaryabhat           आर्यभट्ट विश्व के महान गणितज्ञ और ज्योतिर्विद है। उन्होंने गणित और ज्योतिष विशेषकर खगोल विज्ञान के क्षेत्र में कई महान सिद्धांत दिए जिनके आधार पर विश्व अनेक अन्य  खोज कर पाया।   आर्यभट ने शून्य का प्रतिपादन किया तथा पाई का सटीक मान निकालकर रेखागणित को भी आधार उपलब्ध कराया।   उन्होंने एक श्लोक में कहा- चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्राणाम्।  अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्यासन्नो वृत्तपरिणाहः॥ अर्थात 100 में चार जोड़ें, 8 से गुणा करें और फिर 62000 जोड़ें। इस नियम से 20000 परिधि के एक वृत्त का व्यास पता लगाया जा सकता है। (100 + 4) x 8 +62000/ 20000= 3.1416 इस श्लोक के अनुसार व्यास और परिधि का अनुपात (2πr/2r) यानी 3.1416 है, जो पांच महत्वपूर्ण आंकड़ों तक आज भी सटीक है। उन्होंने सिद्ध किया कि तारे सूरज की रोशनी से चमकते हैं। पूरी धरती की परिधि मापकर उन्होंने भूगोल और खगोलशास्त्र के लिए भी आधार भूमि तैयार की। उन्होंने ही दशमलव का विकास किया और साइन के लिए कोष्ठक दिए।  उन्होंने सूर्य से विभिन्न ग्रहों की दूरी बताई जो कमोबेश आज भी सही है। उनके अनुसार- बुध : आर्यभट