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8.6.1 कक्षा -अष्टमी, विषय:-संस्कृतम्, षष्ठः पाठ: (गृहं शून्यं सुतां विना ) Class-8th, Subject-Sanskrit, Lesson- 6 (Griham Shunyam Sutaam Vina )

8.6.1   कक्षा -अष्टमी, विषय:-संस्कृतम्, 

षष्ठः पाठ:  (गृहं शून्यं सुतां विना) 

Class-8th,  Subject-Sanskrit, 

Lesson- 6   (Griham Shunyam Sutaam Vina )           

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नमो नमः। 

अष्टमकक्ष्यायाः रुचिरा भाग-3 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम् । 

अधुना वयं षष्ठ-पाठं पठामः । 

 पाठस्य नाम अस्ति 

                   गृहं शून्यं सुतां विना 

अहं डॉ. विपिन:। 

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षष्ठः पाठः - गृहं शून्यं सुतां विना

हिंदी-सरलार्थम्


" शालिनी ग्रीष्मावकाशे पितृगृहम् आगच्छति।  

सरलार्थ-

शालिनी ग्रीष्मावकाश (गर्मी की छुट्टी) में पिता के घर (मायके) आती है। 


सर्वे प्रसन्नमनसा तस्याः स्वागतं कुर्वन्ति 

सभी प्रसन्न मन से उसका स्वागत करते हैं।


परं तस्याः भ्रातृजाया उदासीना इव दृश्यते"

परन्तु उसकी भाभी उदासीन (उदास सी)  दिखाई पड़ती है।


शालिनी- भ्रातृजाये! चिन्तिता इव प्रतीयसे, सर्वं कुशलं खलु?

शालिनी- भाभी! चिन्तित (चिन्ता युक्त) सी दिखाई पड़ती हो, क्या सब कुशल है?


माला - आम् शालिनि! कुशलिनी अहम्। त्वदर्थं (त्वद्+अर्थं)  किम् आनयानि, शीतलपेयं चायं वा?

माला- हाँ शालिनी! मैं कुशल हूँ। तुम्हारे लिए क्या लाऊँ, ठंडा अथवा चाय?


शालिनी- अधुना तु किमपि न वाञ्छामि। रात्रौ सर्वैः सह भोजनमेव करिष्यामि।

 शालिनी- अभी (इस समय) तो कुछ भी नहीं चाहती हूँ। रात में सभी के साथ खाना खाऊँगी।



(भोजनकालेsपि मालायाः मनोदशा स्वस्था न प्रतीयते स्म, परं सा मुखेन किमपि नोक्तवती (न+उक्तवती)

 (भोजन के समय में भी माला की मन की दशा अच्छी (स्वस्थ) दिखाई नहीं देती थी, परन्तु उसने मुँह से कुछ भी नहीं कहा) 



राकेशः- भगिनि शालिनि! दिष्ट्या त्वं समागता।

राकेश- बहन शालिनी! सौभाग्य से तुम आ गई। 


 अद्य मम कार्यालये एका महत्त्वपूर्णा गोष्ठी सहसैव निश्चिता। 

आज मेरे कार्यालय (ऑफिस) में एक महत्वपूर्ण बैठक (मीटिंग) अचानक ही रख दी गई है।


अद्यैव मालायाः चिकित्सिकया सह मेलनस्य समयः निर्धारितः

आज ही माला की डॉक्टर के साथ मिलने का समय भी निश्चित है।


 त्वं मालया सह चिकित्सिकां प्रति गच्छ,

तुम माला के साथ डॉक्टर के पास जाना,


 तस्याः परामर्शानुसारं यद्विधेयं (यद्+विधेयं)  तद् सम्पादय।

  उनकी सलाह के अनुसार जो करना है उसे कर लेना। 



शालिनी- किमभवत् (किम्+अभवत्)? भ्रातृजायायाः स्वास्थ्यं समीचीनं नास्ति?

शालिनी- क्या हुआ! भाभी का स्वास्थ्य (तबियत) ठीक नहीं है?


 अहं तु ह्यः प्रभृति पश्यामि सा स्वस्था न प्रतिभाति इति प्रतीयते स्म। 

 मैं तो कल से देख रही हूं वह स्वस्थ नहीं जान पड़ती (दिखाई पड़ती) है ऐसा लगता था। 


राकेशः- चिन्तायाः विषयः नास्ति। त्वं मालया सह गच्छ। मार्गे सा सर्वं ज्ञापयिष्यति। 

राकेश- चिन्ता की बात नहीं है। तुम माला के साथ जाना। रास्ते में वह सब कुछ बता देगी। 


(माला शालिनी च चिकित्सिकां प्रति गच्छन्त्यौ वार्तां कुरुतः)

(माला और शालिनी चिकित्सक (डॉक्टर) के पास जाती हुई बातचीत करती हैं।)


शालिनी- किमभवत्? भ्रातृजाये! का समस्याsस्ति?

शालिनी- क्या हुआ? भाभी क्या समस्या है?


माला- शालिनि! अहं मासत्रयस्य गर्भं स्वकुक्षौ धारयामि।

माला- शालिनी! तीन मास के गर्भ को अपने पेट में धारण किए हूँ। 


 तव भ्रातुः आग्रहः अस्ति यत् अहं लिंगपरीक्षणं कारयेयं कुक्षौ कन्याsस्ति चेत् गर्भं पातयेयम्। 

 तुम्हारे भाई की जिद है कि मैं लिंग परीक्षण कराऊँ यदि गर्भ (पेट) में कन्या है तो गर्भ को गिरा हूँ।


अहम् अतीव उद्विग्नाsस्मि परं तव भ्राता वार्तामेव न शृणोति।

मैं बहुत परेशान (चिन्तित) हूँ, परन्तु तुम्हारे भाई मेरी बात ही नहीं सुनते हैं। 


शालिनी- भ्राता एवं चिन्तयितुमपि कथं प्रभवति?

शालिनी-भाई ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं?


 शिशुः कन्याsस्ति चेत् वधार्हा?

दि शिशु कन्या है तो वध के (मारने) लायक है?


 जघन्यं कृत्यमिदम् (कृत्यम्+इदम्)।

  यह तो जघन्य (महापाप) अपराध है।


 त्वम् विरोधं न कृतवती?

तुमने विरोध नहीं किया?


 सः तव शरीरे स्थितस्य शिशोः वधार्थं चिन्तयति त्वम् तूष्णीम् तिष्ठसि?

  वह तुम्हारे शरीर (पेट) में स्थित शिशु के वध के लिए सोचते हैं तुम चुप रहती हो?


 अधुनैव गृहं चल, नास्ति आवश्यकता लिंगपरीक्षणस्य।

अभी ही घर चलो, लिंग परीक्षण की आवश्यकता नहीं है। 


 भ्राता यदा गृहम् आगमिष्यति अहम् वार्तां करिष्ये।

 भाई जब घर आएँगे तो मैं बात करूंगी।


(सन्ध्याकाले भ्राता आगच्छति हस्तपादादिकं प्रक्षाल्य वस्त्रणि च परिवर्त्य पूजागृहं गत्वा दीपं प्रज्वालयति भवानीस्तुतिं चापि (च+अपि)  करोति। 

(शाम को भाई आते हैं हाथ-पैर आदि को धोकर और कपड़ों को बदलकर पूजा घर में जाकर दीपक जलाते हैं और देवी की पूजा भी करते हैं।


 तदनन्तरं (तद्+अनन्तरं)  चाय-पानार्थम् सर्वेsपि एकत्रिताः।)

उसके बाद चाय पीने के लिए सभी एक स्थान पर मिलते हैं।)


राकेशः- माले! त्वं चिकित्सिकां प्रति गतवती आसीः, किम् अकथयत् सा?

राकेश- माला! तुम डॉक्टर के पास गई थी, उसने क्या कहा?


(माला मौनमेवाश्रयति (मौनम्+एव+आश्रयति)। तदैव क्रीडन्ती त्रिवर्षीया पुत्री अम्बिका पितुः क्रोडे उपविशति

(माली मौन ही धारण कर लेती है। तभी खेलती हुई तीन साल की बेटी अम्बिका पिता की गोद में बैठ जाती है 



तस्मात् चाकलेहं च याचते।

और उनसे चॉकलेट माँगती है।


 राकेशः अम्बिकां लालयति, चाकलेहं प्रदाय तां क्रोडात् अवतारयति।

 राकेश अम्बिका को प्यार करता है, चॉकलेट देकर उसे गोद से उतारता है।


 पुनः मालां प्रति प्रश्नवाचिकां दृष्टिं क्षिपति। 

फिर माला की ओर प्रश्न सूचक नज़र डालता (संकेत) है। 


शालिनी एतत् सर्वं दृष्ट्वा उत्तरं ददाति)

 शालिनी यह सब देखकर उत्तर देती है।)


शालिनी- भ्रातः! त्वं किं ज्ञातुमिच्छसि? तस्याः कुक्षि पुत्रः अस्ति पुत्री वा?

शालिनी- भाई! तुम क्या जानना चाहते हो उसके पेट में पुत्र है अथवा पुत्री?


 किमर्थम्? षण्मासानन्तरं सर्वं स्पष्टं भविष्यति, समयात् पूर्वं किमर्थम् अयम् आयासः?

किसलिए? छह महीने के बाद सब स्पष्ट तो जाएगा, समय से पहले किसलिए यह कोशिश (हो रही है)?


राकेशः- भगिनि, त्वं तु जानासि एव अस्माकं गृहे अम्बिका पुत्रीरूपेण अस्त्येव अधुना एकस्य पुत्रस्य आवश्यकताsस्ति तर्हि------- 

राकेश- बहन तुम तो जानती हो ही हमारे घर में अम्बिका पुत्री के रूप में है ही। अब एक पुत्र की जरूरत है तो............. 


शालिनी- तर्हि कुक्षि पुत्री अस्ति चेत् हन्तव्या?

शालिनी- तो गर्भ में बेटी है यदि तो मार देनी चाहिए?


 (तीव्रस्वरेण) हत्यायाः पापं कर्तुं प्रवृत्तोsसि त्वम्।

(तेज़ आवाज़ से) हत्या का पाप करने में तुम लग गए।


राकेशः- न, हत्या तु न---------

राकेश- नहीं हत्या तो नही ..................।


शालिनी- तर्हि किमस्ति निर्घृणं कृत्यमिदम् (कृत्यम्+इदम्)?

शालिनी- तो यह घृणा के योग्य कार्य क्या है ?


 सर्वथा विस्मृतवान् अस्माकं जनकः कदापि पुत्रीपुत्रयोः विभेदं न कृतवान्?

बिलकुल भूल गए हमारे पिता ने कभी पुत्र और पुत्री में भेद नहीं किया था? 


 सः सर्वदैव (सर्वदा+एव)  मनुस्मृतेः पंक्तिमिमाम् उद्धरति स्म

वे सदैव मनुस्मृति की इस पंक्ति का उदाहरण देते थे-


 आत्मा वै जायते पुत्रः पुत्रेण दुहिता समाय्।

 निश्चय से पिता की आत्मा ही पुत्र के रूप में जन्म लेती है और पुत्र के समान ही पुत्री होती है।


 त्वमपि सायं प्रातः देवीस्तुतिं करोषि?

तुम भी सायं-प्रातः देवी की स्तुति करते हो


 किमर्थं सृष्टेः उत्पादिन्याः शक्त्याः तिरस्कारं करोषि?

क्यों सृष्टि की उत्पादक शक्ति का अपमान करते हो


 तव मनसि इयती कुत्सिता वृत्तिः आगता,

तुम्हारे मन में इतनी गलत प्रवृत्ति आ गई,


 इदं चिन्तयित्वैव (चिन्तयित्वा+एव) अहं कुण्ठिताSस्मि। तव शिक्षा वृथा------

 यह सोचकर ही मैं चिन्तित हूँ। तुम्हारी पढ़ाई बेकार..........



राकेशः- भगिनि! विरम विरम।

राकेश- हे बहन! रुको-रुको।


 अहं स्वापराधं स्वीकरोमि लज्जितश्चास्मि (लज्जितः+च+अस्मि)। 

 मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूँ और शर्मिंदा हूँ।


 अद्यप्रभृति कदापि गर्हितमिदं (गर्हितम्+ इदं)  कार्यं स्वप्नेsपि न चिन्तयिष्यामि। 

आज से यह निन्दा के योग्य काम (को) स्वप्न में भी करना नहीं सोचूंगा। 


 यथैव  (यथा+एव) अम्बिका मम हृदयस्य सम्पूर्णस्नेहस्य अधिकारिणी अस्ति,

जैसे अम्बिका मेरे दिल (कलेजे) के सारे प्यार की अधिकारी है, 


 तथैव (तथा+एव) आगन्ता शिशुः अपि स्नेहाधिकारी भविष्यति पुत्रः भवतु पुत्री वा।

वैसे ही आने वाला शिशु (बच्चा) भी प्यार का अधिकारी होगा, पुत्र हो अथवा पुत्री।


 अहं स्व-गर्हित-चिन्तनं प्रति पश्चात्तापमग्नः (पश्चात्तापम्+अग्नः) अस्मि,

मैं अपने गन्दे सोच के लिए पछतावे से भर गया हूँ।


 अहं कथं विस्मृतवान् 

 मैं कैसे भूल गया


यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।

यत्रैताः न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।।

यत्रैताः - यत्र+एताः, सर्वास्तत्राफलाः =सर्वाः+तत्र+अफलाः 

 जहाँ नारियाँ पूजी जाती हैं वहाँ देवता रमण (निवास) करते हैं। जहाँ ये नहीं पूजी जातीं वहाँ सारी क्रियाएँ असफल हो जाती हैं।


अथवा पितुर्दशगुणा मातेति।

अथवा पिता से दस गुना अधिक माँ होती है।


 त्वया सन्मार्गः प्रदर्शितः भगिनि।

तुमने अच्छा रास्ता दिखाया बहन।


 कनिष्ठाsपि त्वं मम गुरुरसि।

 छोटी होती हुई भी तुम मेरी गुरु (बड़ी) हो।


शालिनी- अलं पश्चात्तापेन।

शालिनी- पछताओ मत।


 तव मनसः अन्धकारः अपगतः प्रसन्नतायाः विषयोsयम्।

तुम्हारे मन का अँधेरा दूर हो गया,  यह खुशी का विषय है।


 भ्रातृजाये! आगच्छ। सर्वां चिन्तां त्यज आगन्तुः शिशोः स्वागताय च सन्नद्धा भव।

भाभी! आओ। सारी चिन्ता को छोड़ो ओर आने वाले बच्चे के स्वागत के लिए तैयार हो जाओ।


 भ्रातः त्वमपि प्रतिज्ञां कुरु- कन्यायाः रक्षणे, तस्याः पाठने दत्तचित्तः स्थास्यसि

भाई! तुम भी प्रतिज्ञा करो- कन्या की रक्षा में और उसकी पढ़ाई में ध्यान दोगे 



 'पुत्रीं रक्ष, पुत्री पाठय' इतिसर्वकारस्य घोषणेयं तदैव सार्थिका भविष्यति

'बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ' सरकार की यह घोषणा तभी सार्थक होगी


 यदा वयं सर्वे मिलित्वा चिन्तनमिदं यथार्थरूपं करिष्यामः-

जब हम सब मिलकर यह चिन्तन यथार्थ (सही) रूप में करेंगे। 


या गार्गी श्रुतचिन्तने नृपनये पाञ्चालिका विक्रमे,

सरलार्थ-

जिस तरह से गार्गी शास्त्रों के ज्ञान के चिन्तन और राजा जनक को प्रभावित करने में,

 द्रौपदी पराक्रम में, 


लक्ष्मीः शत्रुविदारणे गगनं विज्ञानांगणे कल्पना।

लक्ष्मीबाई शत्रुओं का नाश करने में, 

फ़र्रूख़ाबाद के नवाब के महल में रानी लक्ष्मीबाई का कलात्मक चित्रण

  









 कल्पना चावला विज्ञान के विशाल आकाश रूपी आँगन में 








इन्द्रोद्योगपथे च खेलजगति ख्याताभितः साइना,

इन्द्रोद्योगपथे -इन्द्रा+उद्योगपथे 

इन्द्रिरा नूई उद्योग मार्ग में,




 





साइना नेहवाल खेल जगत् में प्रसिद्धि पाई। 








सेयं स्त्री सकलासु दिक्षु सबला सर्वैः सदोत्साह्यताम्।।

सेयं - सा+ इयं, सदोत्साह्यताम्-सद+उत्साह्यताम् 

         उसी तरह से सभी स्त्रियाँ सभी दिशाओं में सबल हों, सबके द्वारा सदा उत्साहित की जाएँ।



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                          धन्यवादाः। 
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       (1) पठनाय ( NCERT Book in PDF)
https://drive.google.com/file/d/12IRLSGFVZjCfy-fqfb0vJwkaGmXkrHF1/view?usp=drivesdk ,

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        (2) श्रवणाय  (Audio)- 
  
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        (3)  दृश्य-श्रव्य (Video) 
   8.6.1    पाठ-वाचनं विवरणं च  
  
     डॉ. विपिनः        

      पाठ-वाचनं विवरणं च 
8.6.2 https://youtu.be/fOHlA3zOzRU
8.6.3 https://youtu.be/RLJes_wWnjY
8.6.4 https://youtu.be/J-a0Ri5Lmvw
      (OnlinesamskrTutorial)

      अभ्यासः

(OnlinesamskrTutorial)

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           (4) अभ्यास-कार्यम् -प्रश्नोत्तराणि 
               (Lesson Exercise )  
          

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           (5)   अभ्यासाय  (B2B Worksheet)      
https://drive.google.com/file/d/1jByFgSPlVLNS7NYiSwkndklZHlQWReHH/view?usp=drivesdk   

 

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                         संस्कृत-प्रभा
  
                  8.6.2  अभ्यासः


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